पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कल्याण बनर्जी और सांसद महुआ मोइत्रा के बीच का पुराना विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। कोलकाता लॉ कॉलेज गैंगरेप मामले पर टिप्पणी को लेकर दोनों नेता एक-दूसरे पर सार्वजनिक रूप से आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं। तीन महीने पहले हुई पहली टकराव के बाद यह दूसरी बार है जब दोनों आमने-सामने आए हैं।
महुआ पर निजी टिप्पणी, कल्याण का तीखा हमला
इस बार कल्याण बनर्जी ने महुआ मोइत्रा के निजी जीवन को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि महुआ ने एक ऐसी शादी को तोड़ा जो 40 साल पुरानी थी और अब एक 65 वर्षीय व्यक्ति से विवाह कर चुकी हैं। उनका इशारा बीजेडी के पूर्व सांसद पिनाकी मिश्रा की ओर था। बनर्जी ने सवाल किया कि क्या यह महिला विरोधी आचरण नहीं है।
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उन्होंने आरोप लगाया कि महुआ खुद अन्य महिला नेताओं को उभरने का मौका नहीं देतीं और अपने क्षेत्र कृष्णनगर में किसी भी प्रभावशाली महिला को राजनीतिक रूप से आगे नहीं आने देतीं।
‘मैं महिला विरोधी नहीं’: कल्याण की सफाई
बनर्जी ने कहा कि वह महिला विरोधी नहीं हैं, बल्कि महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर अक्सर मुखर रहते हैं। उन्होंने दावा किया कि भारत में अगर किसी एक महिला से उनका विरोध है, तो वह केवल महुआ मोइत्रा हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि महुआ के बयान ‘व्यक्तिगत प्रचार’ की कोशिश हैं।
महुआ का पलटवार, टीएमसी की चुप्पी पर सवाल
महुआ मोइत्रा ने पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि महिलाओं के खिलाफ घृणास्पद टिप्पणियों पर पार्टी को स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि टीएमसी की विशेषता यही है कि वह महिलाओं के सम्मान की बात करती है और ऐसे आपत्तिजनक बयानों की आलोचना भी करती है।
क्या है पूरा मामला?
कोलकाता लॉ कॉलेज गैंगरेप केस को लेकर कल्याण बनर्जी ने बयान दिया था कि लड़कियों को सोच-समझकर दोस्ती करनी चाहिए और यह जानना चाहिए कि वे किसके साथ समय बिता रही हैं। पार्टी ने इस बयान से खुद को अलग करते हुए इसे उनकी व्यक्तिगत राय बताया था।
इसके जवाब में महुआ ने सोशल मीडिया पर लिखा कि महिलाओं के प्रति दुर्भावना किसी भी पार्टी लाइन से परे है और इस प्रकार की टिप्पणियों की खुलकर निंदा की जानी चाहिए।
अन्य नेता भी विवादों में
इस मामले में टीएमसी के वरिष्ठ विधायक मदन मित्रा का भी विवादास्पद बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर पीड़िता अकेले कॉलेज नहीं जाती, तो शायद इस घटना से बचा जा सकता था। इस बयान ने भी पार्टी की छवि पर सवाल खड़े किए।
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