ग्रामीण रोजगार से जुड़े वीबी–जी राम जी बिल 2025 के पारित होते ही संसद में सियासी घमासान तेज हो गया। दोनों सदनों से मंजूरी मिलने के बाद विपक्षी दलों ने आधी रात को संसद परिसर में धरना शुरू कर दिया। विपक्ष ने विधेयक को गरीब, किसान और मजदूरों के हितों के खिलाफ बताते हुए इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर चोट करार दिया। पूरी रात संसद भवन के बाहर नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन चलता रहा।
राज्यसभा ने आधी रात के बाद ध्वनि मत से विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी–जी राम जी बिल को पारित किया। इससे पहले लोकसभा इसे मंजूरी दे चुकी थी। यह नया कानून महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का स्थान लेगा। विधेयक के तहत ग्रामीण परिवारों को साल में 125 दिन का मजदूरी आधारित रोजगार देने का प्रावधान किया गया है।
बिल पास होते ही विपक्ष सड़क पर उतरने की तैयारी में
विधेयक पारित होने के तुरंत बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके समेत कई विपक्षी दलों के सांसद संविधान सदन के बाहर धरने पर बैठ गए। तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा उपनेता सागरिका घोष ने सरकार पर जबरन बिल पास कराने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह कानून ग्रामीण भारत, किसानों और मजदूरों के खिलाफ है। विपक्षी दलों ने संकेत दिया कि वे इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन करेंगे।
‘पर्याप्त बहस के बिना कानून बनाया गया’
सागरिका घोष ने कहा कि इतने अहम विधेयक के लिए विपक्ष को महज कुछ घंटों का नोटिस दिया गया और विस्तार से चर्चा का अवसर नहीं मिला। उनका कहना था कि इस बिल को प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए था, ताकि सभी पक्षों की राय ली जा सके। कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसे देश के श्रमिक वर्ग के लिए दुर्भाग्यपूर्ण दिन बताया।
कांग्रेस नेतृत्व का सरकार पर हमला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जिस योजना से करोड़ों ग्रामीणों की आजीविका जुड़ी थी, उसे समाप्त किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि जैसे कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था, वैसे ही यह कानून भी वापस लिया जाएगा। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि सत्ता में आने पर गांधी जी का नाम और मनरेगा दोनों को बहाल किया जाएगा।
सरकार ने बताया रोजगार बढ़ाने वाला कदम
सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि यह कानून गरीबों के हित में है और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाएगा। विधेयक के अनुसार ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को अकुशल श्रम के लिए 125 दिन का रोजगार मिलेगा। केंद्र और राज्यों के बीच फंडिंग का अनुपात 60:40 रहेगा, जबकि पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों के लिए यह 90:10 तय किया गया है।
संसद के भीतर और बाहर विरोध
लोकसभा में भी विधेयक पर चर्चा के दौरान भारी हंगामा देखने को मिला। विपक्षी सांसदों ने गांधी जी का नाम हटाने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की और वॉकआउट किया। दोनों सदनों से पारित होने के बाद अब बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। वहीं विपक्ष ने साफ कर दिया है कि संसद से बाहर भी विरोध जारी रहेगा।