नई दिल्ली: विजय दिवस भारत के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है, जो भारतीय सशस्त्र बलों के अदम्य साहस, पराक्रम और सर्वोच्च बलिदान की याद दिलाता है। आज से 54 वर्ष पहले 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना ने निर्णायक विजय हासिल करते हुए पूर्वी पाकिस्तान को मुक्त कराया था। इसी ऐतिहासिक जीत के परिणामस्वरूप बांग्लादेश का उदय हुआ और भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी सैन्य क्षमता और दृढ़ राष्ट्रीय संकल्प का परिचय दिया।

विजय दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री ने वीरों के बलिदान को किया नमन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर संदेश जारी कर 1971 के युद्ध में भारतीय सेना की बहादुरी को याद किया। उन्होंने कहा कि विजय दिवस उन वीर जवानों के साहस और बलिदान का प्रतीक है, जिनकी निष्ठा और समर्पण से देश को ऐतिहासिक सफलता मिली। प्रधानमंत्री ने कहा कि सैनिकों की वीरता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।

राष्ट्रपति ने सैनिकों को दी श्रद्धांजलि
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी विजय दिवस पर 1971 के युद्ध में देश को विजय दिलाने वाले जवानों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना की आत्मनिर्भरता और आधुनिक तकनीकों पर आधारित रणनीति भविष्य की चुनौतियों से निपटने की क्षमता को दर्शाती है। अपने संदेश में उन्होंने सेना के साहस, शौर्य और निस्वार्थ सेवा की सराहना की।

93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण
गौरतलब है कि 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। इस युद्ध में पाकिस्तान के करीब 93 हजार सैनिकों ने हथियार डाले थे, जिसका नेतृत्व जनरल एए खान नियाजी कर रहे थे। यह घटना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण मानी जाती है। विजय दिवस भारत की सैन्य शक्ति और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक बन चुका है।

कांग्रेस नेताओं ने भी दी श्रद्धांजलि
विजय दिवस के मौके पर कांग्रेस ने भी 1971 के युद्ध में भारतीय सेना की बहादुरी और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व को याद किया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस जीत को मानवता और न्याय का प्रतीक बताया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी ने भी वीर सैनिकों को नमन करते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक विजय ने भारत की एकता को मजबूत किया और विश्व मंच पर देश की प्रतिष्ठा बढ़ाई।