बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने स्पष्ट किया है कि वे तभी अपने देश लौटेंगी, जब वहां सहभागी लोकतंत्र की पूर्ण बहाली होगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा अंतरिम सरकार को अवामी लीग पर लगाए गए प्रतिबंध हटाने होंगे और निष्पक्ष, पारदर्शी व समावेशी चुनाव कराना होगा। भारत में एक अज्ञात स्थान से पीटीआई को दिए इंटरव्यू में शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की भारत-विरोधी नीतियों की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत से संबंध बिगाड़ना “मोहम्मद यूनुस की सबसे बड़ी मूर्खता और आत्मघाती कदम” है। शेख हसीना ने कहा, “भारत और बांग्लादेश के संबंध ऐतिहासिक और भावनात्मक हैं। यूनुस की बचकानी नीति के बावजूद ये रिश्ते मजबूत रहेंगे। मैं उम्मीद करती हूं कि वे अपने कार्यकाल में और कूटनीतिक गलतियां नहीं करेंगे।” पूर्व प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि मौजूदा अंतरिम सरकार बांग्लादेश की जनता, विशेषकर महिलाओं की भावना का प्रतिनिधित्व नहीं करती। उन्होंने भारत सरकार का आभार जताते हुए कहा, “भारत ने जिस तरह शरण और सम्मान दिया, उसके लिए मैं भारत और यहां के लोगों की आभारी हूं।”

शेख हसीना ने मोहम्मद यूनुस की सरकार पर आरोप लगाया कि वह भारत-विरोधी ताकतों और कट्टरपंथियों के दबाव में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश आज “कट्टरपंथियों के प्रभाव में फंसता जा रहा है” और पाकिस्तान से नजदीकियां बढ़ाना यूनुस की नीति का हिस्सा है, जो बांग्लादेश के हितों के खिलाफ है।

हसीना ने 2024 में हुए छात्र आंदोलनों पर कहा कि उनकी सरकार हालात पर नियंत्रण नहीं रख सकी, लेकिन आंदोलन में शामिल “छात्र नेताओं के वेश में राजनीतिक तत्वों” को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए जिन्होंने हिंसा को भड़काया।

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय में किसी भी जांच या मुकदमे का सामना करने को तैयार हैं। उन्होंने मोहम्मद यूनुस को चुनौती देते हुए कहा, “अगर उनमें साहस है तो वे अंतरराष्ट्रीय अदालत में मेरा मुकदमा चलाएं, लेकिन वे ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि उन्हें सच्चाई का डर है।” शेख हसीना ने अपने खिलाफ चल रहे मुकदमों को “राजनीतिक साजिश और कंगारू न्यायाधिकरण की कारवाही” बताया।

उन्होंने कहा कि कुछ पश्चिमी उदारवादी देशों ने मोहम्मद यूनुस को समर्थन दिया था, लेकिन अब उन्हें समझ आ गया है कि यूनुस कट्टरपंथियों के साथ खड़े हैं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कुचल रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही पश्चिमी देशों का यह भ्रम दूर हो जाएगा।