कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की दो दिवसीय व्याख्यानमाला का पहला दिन आयोजित हुआ। इस अवसर पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने उपस्थित सदस्यों को संबोधित करते हुए संघ को विश्व का सबसे अनोखा संगठन बताया। उन्होंने कहा कि संघ आज भारत के अलावा कई देशों में समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय है।
व्याख्यानमाला संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित की गई है। डॉ. भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि भारत तभी विश्व गुरु बन सकता है जब वह दुनिया को अपनापन और सहयोग का मूल सिद्धांत सिखाएगा। उन्होंने प्राचीन भारतीय ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच समानताएं बताते हुए कहा कि जिस सिद्धांत को हमारी परंपरा ‘ब्रह्म’ या ‘ईश्वर’ कहती है, उसे विज्ञान ‘यूनिवर्सल कॉन्शसनेस’ के रूप में मानता है।
डॉ. भागवत ने समाज की कार्यप्रणाली पर भी जोर देते हुए कहा कि समाज केवल कानून से नहीं, बल्कि संवेदना और अपनापन से चलता है। उन्होंने कहा कि समाज में अपनापन की भावना को लगातार जागरूक रखना आवश्यक है, क्योंकि यही भावना समाज को एक सूत्र में बाँधती है और उसे मजबूत बनाती है।