नई दिल्ली। श्रीलंका में चक्रवात ‘दित्वाह’ से पैदा हुए मानवीय संकट के बीच पाकिस्तान और भारत के बीच राहत उड़ानों को लेकर बहस तेज हो गई है। पाकिस्तान का दावा है कि उसकी राहत उड़ानों को भारत जानबूझकर रोक रहा है, जिससे राहत सामग्री की डिलीवरी में देरी हो रही है। हालांकि भारत ने इन आरोपों को तुरंत खारिज करते हुए कहा कि उसने पाकिस्तान के अनुरोध को सिर्फ चार घंटे के भीतर मंजूरी दे दी थी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि पाकिस्तान का बयान हास्यास्पद है और इसमें भारत के खिलाफ भ्रामक जानकारी फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की ओर से औपचारिक अनुरोध 1 दिसंबर 2025 को दोपहर 1:00 बजे भारतीय उच्चायोग, इस्लामाबाद को मिला था। भारत ने इसे मानवीय आपात स्थिति मानते हुए उसी दिन शाम 5:30 बजे मंजूरी जारी कर दी।

जयसवाल ने यह भी कहा कि पाकिस्तानी मीडिया में चल रही खबरें कि भारत ने एयरस्पेस अनुमति नहीं दी, पूरी तरह गलत हैं और केवल भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास हैं। भारत ने दोहराया कि राहत उड़ानों को प्राथमिकता दी जाती है और राजनीतिक एजेंडा इसमें शामिल नहीं है।

पाकिस्तान ने मंगलवार को दावा किया कि भारत की ‘असहयोगी नीति’ के कारण उसकी राहत उड़ानों में बाधा आई। पाकिस्तान ने कहा कि भारतीय पक्ष ने 60 घंटे तक उड़ान की अनुमति नहीं दी और जो आंशिक अनुमति दी गई, वह संचालन के लिए पर्याप्त नहीं थी। पाकिस्तान ने यह भी कहा कि वापसी उड़ान की मंजूरी नहीं मिली, जिससे राहत अभियान प्रभावित हुआ।

इस बीच, श्रीलंका में बाढ़ और भूस्खलन ने कई जिलों को कट-ऑफ कर दिया है। श्रीलंका के आपदा प्रबंधन केंद्र के अनुसार अब तक 410 लोग मारे जा चुके हैं और 336 लोग लापता हैं। भारत ने ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ के तहत राहत सामग्री, चिकित्सा सहायता और अन्य आवश्यक संसाधन भेजना शुरू कर दिया है। इसके अलावा, भारत पहले भी श्रीलंका की आपदा और आर्थिक संकट के दौरान सहायता भेज चुका है।