तिरुवनंतपुरम: कांग्रेस सांसद शशि थरूर के हालिया बयानों और व्यवहार ने केरल की राजनीति में हलचल मचा दी है। पिछले कुछ हफ्तों में थरूर ने पार्टी की महत्वपूर्ण बैठकों से दूरी बनाए रखी और ऐसे संकेत दिए कि वे पारंपरिक पार्टी लाइन से ऊपर किसी व्यापक दृष्टिकोण को प्राथमिकता दे रहे हैं।
पिछले दिनों थरूर ने कोलकाता में राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस सांसदों की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। इससे पहले उन्होंने सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई शीतकालीन सत्र की रणनीति बैठक में भी उपस्थिति नहीं दर्ज कराई। इसके बाद तिरुवनंतपुरम में स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी की जीत पर उन्होंने सार्वजनिक रूप से बधाई दी, जिससे राजनीतिक चर्चा और तेज हो गई।
तिरुवनंतपुरम में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत
हाल के चुनाव में तिरुवनंतपुरम नगर निगम की 101 वार्डों में बीजेपी समर्थित एनडीए ने 50 सीटें जीतकर वाम मोर्चे (एलडीएफ) का 45 साल का वर्चस्व तोड़ दिया। एलडीएफ ने 29 और यूडीएफ ने 19 सीटें हासिल कीं, जबकि दो वार्ड निर्दलीयों के खाते में गए। इसके अलावा एनडीए ने पालक्कड़ नगर पालिका को बरकरार रखा और त्रिपुनितुरा नगर पालिका यूडीएफ से जीत ली।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस जीत को ऐतिहासिक बताया और केरल के लोगों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जनता अब सुशासन और विकास की ओर देख रही है और एनडीए ही इसे साकार कर सकती है।
थरूर के बयानों ने बढ़ाई चर्चा
थरूर ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में तिरुवनंतपुरम में बीजेपी के प्रदर्शन को ऐतिहासिक बताते हुए उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा, “मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र में बीजेपी के महत्वपूर्ण प्रदर्शन को स्वीकार करता हूँ। यह परिणाम राजधानी के राजनीतिक परिदृश्य में एक उल्लेखनीय बदलाव का प्रतीक है।”
थरूर ने आगे कहा कि उन्होंने एलडीएफ के 45 वर्षों के शासन से मुक्ति के लिए प्रचार किया, लेकिन मतदाताओं ने अंततः बदलाव की मांग करने वाली पार्टी को पुरस्कृत किया। “लोकतंत्र में जनता के निर्णय का सम्मान किया जाना चाहिए, चाहे वह यूडीएफ के पक्ष में हो या मेरी क्षेत्र में बीजेपी के पक्ष में। हम जनता की जरूरतों और सुशासन के सिद्धांतों के लिए काम करते रहेंगे।”
राजनीतिक और कूटनीतिक पहल
थरूर की यह उदारता ऐसे समय में आई है जब उन्होंने हाल ही में केंद्र सरकार की कुछ पहलों और प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति की सराहना की थी। उन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर” में भाग लेकर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब किया और विश्व नेताओं जैसे व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक में भारत का पक्ष मजबूत किया।
विश्लेषकों का कहना है कि थरूर पारंपरिक पार्टी लाइन से ऊपर उठकर राष्ट्रीय हित, लोकतांत्रिक मूल्यों और जनता के जनादेश को प्राथमिकता दे रहे हैं। उनके बयानों से कांग्रेस में असहजता है, जबकि बीजेपी इसे स्वीकार्यता बढ़ने के संकेत के रूप में देख रही है।