नई दिल्ली। वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के अवसर पर मंगलवार को राज्यसभा में विशेष चर्चा हुई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि वंदे मातरम सिर्फ एक गीत नहीं बल्कि देशभक्ति और राष्ट्र निर्माण की भावना का प्रतीक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस चर्चा के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों को वंदे मातरम के महत्व और आजादी के लिए इसके योगदान की समझ मिले।
अमित शाह ने सदन में कहा, “वंदे मातरम की रचना में देश के प्रति समर्पण का भाव है। यह गीत स्वतंत्रता संग्राम के समय प्रेरणा का स्रोत बना और आज भी यह भाव आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता है। इस पर चर्चा करना आवश्यक है ताकि हमारे बच्चे, किशोर और युवा इसके महत्व को समझें और इसे राष्ट्र के पुनर्निर्माण का आधार मानें।”
उन्होंने वंदे मातरम के इतिहास और बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा 7 नवंबर 1875 को इसकी रचना की पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कि इस गीत ने अंग्रेजों की गुलामी के समय लोगों में चेतना और देशभक्ति का संचार किया। शाह ने बताया कि अंग्रेजों ने इसके प्रसार को रोकने की कोशिश की, लेकिन यह गीत कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैल गया और राष्ट्र की आत्मा को जागृत किया।
गृह मंत्री ने कहा कि वंदे मातरम में मातृभूमि और कर्तव्य के प्रति भाव समाहित हैं। उन्होंने यह भी बताया कि स्वतंत्रता सेनानियों ने फांसी के समय वंदे मातरम का उद्घोष किया। इसके अलावा, विभिन्न आंदोलनों और सामाजिक आंदोलनों में भी यह गीत लोगों में जोश और प्रेरणा का स्रोत रहा।
अमित शाह ने विपक्ष पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस सदस्यों ने कई बार वंदे मातरम पर चर्चा में हिस्सा नहीं लिया और कभी-कभी सदन छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम पर चर्चा का उद्देश्य राजनीतिक नहीं बल्कि राष्ट्र चेतना को मजबूत करना है।
उन्होंने याद दिलाया कि भारत सरकार ने वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ को बड़े स्तर पर मनाने का कार्यक्रम बनाया है और देशवासियों से इस अवसर पर गीत का गायन करने और इसका महत्व याद करने का आह्वान किया।
अमित शाह ने सदन में यह भी कहा कि वंदे मातरम केवल इतिहास का हिस्सा नहीं है बल्कि यह आज भी राष्ट्र की एकजुटता और देशभक्ति का प्रतीक है। उन्होंने यह संदेश देते हुए चर्चा को समाप्त किया कि वंदे मातरम का महिमामंडन करना और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना हम सभी का कर्तव्य है।