मुजफ्फरपुर में तीन घरों में आग लग गई। संयुक्त परिवार के 16 लोग एक घर के तीन कमरों सोए हुए थे। इन 16 में 11 आग में फंस गए। 12 साल की बच्ची ने मां फूलो देवी को आग से बचाते हुए निकाल लिया और अपनी तीन बहनों को निकाल ही रही थी कि छज्जा गिरने से अंदर फंस गई। चारों जिंदा जल गईं। चारों एक ही पिता की 3 से 12 साल की संतान थीं। पिता इनके पालन-पोषण के लिए दिल्ली में कमाने गया है और यहां यह चारों बिस्तर पर ही राख हो गईं। जिंदा वही नहीं जलीं, एक पिता के सारे अरमान जल गए। चार बेटियां सोनी (12), अमृता (10), कविता (8) और शिवानी (5) की बची अस्थियों को समेटकर रखा गया है। मजदूर पिता दिल्ली से चल चुका है। हादसे में आधा दर्जन लोग बुरी तरह झुलसे हैं। इन्हें इलाज के लिए श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (SKMCH) भेजा गया है।
जब आग बुझाई तो जली लाश नजर आई
मुजफ्फरपुर में सदर थाना क्षेत्र में रामदयालु स्टेशन के पास यह कच्चे मकान थे, जिनमें आग लगी। एक कमरे से आग की शुरुआत हुई और देखते ही देखते तीनों कमरे धू-धू कर जलने लगे। सोए लोगों में जिन्हें, जिसे होश हुआ- उन बच्चों को उठाकर निकाला। 12 साल की सोनी ने मां तक को निकालने में मदद की, लेकिन जलने से गिरे छज्जे ने उसका रास्ता ऐसा रोका कि अंदर से उसकी चीख-पुकार ही सुनी जाती रही। वह अपनी तीन छोटी बहनों के साथ अंदर ही जल गई। उन तक कोई नहीं पहुंच सका। फायर ब्रिगेड की छह टीमों के आने से पहले लोगों ने खुद से पानी डाल आग बुझाने की भरसक कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। इसके बाद जब अग्निशमन दस्ते ने आग पर काबू पाया तो इन चार बच्चियों की मौत की जानकारी सामने आई। यह जानकर घर के बड़े-बच्चे सभी रोने लगे।
कमरों की हालत से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आग का मंजर क्या रहा होगा। – फोटो : अमर उजालाएक बेटी किस्मत से नानीघर गई थी, वही बची
घटना के बाद परिजनों में कोहराम मचा है। अब एक ही बेटी बची, जो किस्मत से नानीघर महुआ (वैशाली) गई हुई थी। चारों बच्चों की मौत पर सहायता राशि के रूप में एक-एक कर कई चेक मिले और राशि 16 लाख दिखाई देने लगी। लेकिन, फूलो देवी को न चेक सूझ रहा और न इसमें भरी राशि, उसे अपनी बेटियां चाहिए। वह रोते हुए बताती है कि उसके पति तीन भाई हैं। तीनों का परिवार अलग-अलग कमरे में रहता है।
देखते ही देखते तीनों कमरे में लगी आग
हादसे के बाद फूलो देवी ने कहा कि उनके घर में तीन कमरे में है। खाना खाने के बाद घर के सभी रात 10 बजे खाना खाकर सभी सोने चले गए थे। कुछ देर बाद धुंआ उठने लगा। बाहर जाकर देखा तो आग की तेज लपटें उठ रही है। आग देखते ही मैं दंग रह गई। हो-हल्ला कर घर के लोगों को उठाया। हादसे के वक्त घर में 18 लोग थे। इसमें 7 लोग निकल गए लेकिन 11 लोग फंसे रह गए। देखते ही देखते सब सबकुछ खत्म हो गया।
रास्ता बंद हो गया और तीन बहनों के साथ फंसी
रात 10 बजे के आसपास सभी खाना खाकर सोने चले गए। कुछ ही देर बाद जलने की दुर्गंध आई, लेकिन जबतक सब लोग कुछ समझते और पानी का इंतजाम होता, आग ने विकराल रूप धर लिया। किसी तरह लोग निकले। 11 लोग आग में फंसे, जिनमें चार बच्चियां तो रास्ता बंद हो जाने के कारण जल गईं। बाकी सात में किसी को ज्यादा और किसी को कुछ कम जला। SKMCH में छह भर्ती हैं, जिनमें दो की हालत गंभीर बताई जा रही। एक बच्ची सदर अस्पताल में भर्ती है। राकेश राम की 30 वर्षीय पत्नी बेबी देवी, आठ माह का बेटा प्रकाश कुमार, चार साल का आकाश, 7 साल का विकास कुमार घायल हैं। मुकेश राम का 10 साल का बेटा किशन कुमार, 17 साल की बेटी मनीषा घायल है। परिवार में नरेश सबसे बड़ा भाई है। उसके बाद राकेश और मुकेश है।