नौकरी के बदले जमीन घोटाले से जुड़े मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है और अब फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह मामला राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव समेत कई अन्य के खिलाफ दर्ज है। सीबीआई का आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए लालू यादव ने जमीन के बदले रेलवे में नियुक्तियां कराईं। अदालत अब 13 अक्तूबर को इस पर अपना निर्णय सुनाएगी।
इससे पहले लालू यादव ने निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी मांग ठुकराते हुए कहा था कि ऐसा करने का कोई ठोस आधार नहीं है।
लालू प्रसाद ने अपनी याचिका में सीबीआई की एफआईआर, 2022 से 2024 के बीच दाखिल तीन आरोपपत्रों और संज्ञान आदेशों को निरस्त करने की मांग की थी। उनका कहना था कि मामला करीब 14 साल बाद दर्ज किया गया है, जबकि पहले सीबीआई ने प्रारंभिक जांच के बाद इसे बंद कर दिया था।
अधिकारियों के मुताबिक यह पूरा मामला वर्ष 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू यादव रेल मंत्री थे। उस दौरान पश्चिम मध्य रेलवे, जबलपुर में ग्रुप-डी पदों पर नियुक्तियां की गईं। आरोप है कि इन नौकरियों के बदले लालू यादव के परिवार और सहयोगियों के नाम पर जमीन के टुकड़े उपहार या हस्तांतरित किए गए। इस मामले में 18 मई 2022 को लालू, राबड़ी, उनकी दो बेटियों, अज्ञात सरकारी अधिकारियों और निजी व्यक्तियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।