बिहार विधानसभा चुनावों में इस बार भी एनडीए को स्पष्ट जनादेश मिला है, जबकि महागठबंधन को उम्मीद के विपरीत भारी नुकसान उठाना पड़ा। सबसे बड़ा झटका विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष मुकेश सहनी को लगा, जो पूरे अभियान के दौरान खुद को उपमुख्यमंत्री पद का दावेदार बताकर चुनाव मैदान में उतरे थे। हालांकि, पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं मिल सकी।
कई सीटों पर उम्मीदवार उतारने के बाद सहनी को भरोसा था कि वीआईपी मजबूत प्रदर्शन करेगी, लेकिन नतीजों ने उनके सभी अनुमान गलत साबित कर दिए। हार के बाद सहनी ने इसका ठीकरा वोटरों की लालच और विरोधियों की रणनीति पर फोड़ा।
“दो लाख रुपये के चक्कर में जनादेश बदला” — सहनी
चुनाव नतीजों के बाद सहनी ने अपनी हार पर प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि मतदाता 2 लाख रुपये की योजना के कारण प्रभावित हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि इस योजना का लाभ उठाने के लालच में बड़ी संख्या में वोट NDA पक्ष में चले गए।
सहनी ने कहा, “बिहार की जनता को लगा कि 2 लाख रुपये मिलने वाले हैं। इसी के आधार पर जनादेश खरीदा गया। अब सरकार महिलाओं और बहनों से 1 लाख 90 हजार रुपये वसूल करेगी। इसके खिलाफ हम सड़क पर लड़ाई लड़ेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि पहले ऐसी गतिविधियाँ “रात के अंधेरे में” होती थीं, लेकिन अब “खुलेआम” की जा रही हैं, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित हुए।
“ऐसी हार की उम्मीद नहीं थी”
हार स्वीकार करते हुए सहनी ने कहा, “जनादेश का सम्मान करता हूं। इस तरह के नतीजों की कल्पना नहीं की थी, लेकिन जनता का फैसला सर्वोपरि है। कहीं न कहीं हमसे चूक हुई है, इसे भी हम स्वीकार करते हैं।”
उन्होंने यह भी साफ किया कि एनडीए छोड़कर महागठबंधन में जाना उनका व्यक्तिगत फैसला था और यह कदम उन्होंने सत्ता के लिए नहीं उठाया। सहनी ने कहा कि वे आगे भी मजबूती से अपनी राजनीतिक लड़ाई जारी रखेंगे।