महागठबंधन का हर दांव उलटा पड़ रहा है। पहले सीएम नीतीश कुमार को विपक्षी एकता का संयोजक नहीं बनाना। फिर मुख्यमंत्री के महागठबंधन छोड़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में आने पर बहुमत साबित करने के लिए कहना। और अब, लोकसभा चुनाव से पहले पटना में महारैली करना। तीन मार्च को महागठबंधन की महारैली के लिए पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह जी-जान से जुटे हैं और इधर इनकी पार्टियों में भगदड़ मच गई है। महारैली के मंच से एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार आ रहे हैं और उसमें जाने के लिए कांग्रेस-राजद के विधायक मानों कतारबद्ध खड़े होते जा रहे हैं।
भगदड़ में आगे निकले कौन, जानिए पीछे कौन
12 फरवरी को बिहार की नीतीश कुमार सरकार का बहुमत परीक्षण कराने पर राष्ट्रीय जनता दल को सीधे-सीधे तीन विधायकों का नुकसान हो गया। ‘अमर उजाला’ ने बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद और बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के पाला बदलने की जानकारी पहले ही ला दी थी। बहुमत के दिन नया नाम प्रह्लाद यादव का जुड़ गया था। इसके बाद 27 फरवरी को कांग्रेस के विधायक मुरारी गौतम और सिद्धार्थ सौरभ भाजपा की तरफ चले गए। उनके साथ राजद विधायक संगीता देवी ने भी भगवा धारण कर लिया। अब महागठबंधन की रैली से दो दिन पहले भाजपा के कार्यक्रम में शामिल होने का फैसला राजद विधायक भरत बिंद ने ले लिया। भगदड़ अभी जारी है। कांग्रेस विधायक नीतू सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कांग्रेस के नंबर वन नेता राहुल गांधी से बड़ा बताकर संकेत दे दिया है। उन्हें फाइनल कॉल का इंतजार है, हालांकि ऑफर की बात वह नहीं मान रहीं।
कांग्रेस अध्यक्ष कल दंभ भर रहे थे, आज क्या करेंगे?
कांग्रेस के कई विधायकों ने बिहार विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम हफ्ते में कहा कि पार्टी के अंदर अपने नेताओं का सम्मान होना चाहिए। विधायकों ने यह तक कहा कि कांग्रेस में पहले जैसी बात नहीं रही। यह सब बातें तब हो रही थीं, जब दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष 10 लाख से ज्यादा लोगों के महागठबंधन की महारैली में पटना पहुंचने का दावा कह रहे थे। गुरुवार को उन्होंने इसी भगदड़ पर मीडियाकर्मियों के सवाल का जवाब बेहद बुरे तरीके से दिया, लेकिन अब जवाब मिलता दिख रहा है। नवादा जिले के हिसुआ की कांग्रेस विधायक नीतू सिंह भाजपा में जाने का संकेत विधानसभा परिसर में ही कर चुकी हैं। उनके अलावा, करगहर के विधायक संतोष मिश्रा, राजपुर के विश्वनाथ राम, बक्सर के मुन्ना तिवारी और औरंगाबाद विधायक आनंद शंकर का भी नाम चर्चा में है। यह विधायक अभी खुलकर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे, लेकिन विधानसभा का बजट सत्र खत्म होने के अगले दिन पीएम मोदी के औरंगाबाद-बेगूसराय कार्यक्रम में इनकी हाजिरी या महागठबंधन की महारैली में गैरहाजिरी के दरम्यान सबकुछ साफ हो जाने की उम्मीद है।