बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की करारी हार के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अब तक मीडिया के सामने नहीं आए। सोमवार को पोलो रोड स्थित अपने आवास पर राजद के निर्वाचित विधायकों और प्रत्याशियों की बैठक आयोजित की गई, जो करीब ढाई घंटे तक चली। बैठक समाप्त होने के बाद सभी विधायक और प्रत्याशी अपने-अपने रास्ते चले गए, और पत्रकार तेजस्वी यादव का इंतजार करने लगे।
पत्रकारों से दूरी बनाए तेजस्वी
थोड़ी देर इंतजार के बाद तेजस्वी यादव अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ गाड़ी में बाहर निकले। लेकिन पत्रकारों की उम्मीद के विपरीत उन्होंने गाड़ी से बाहर नहीं आए और शीशे भी नहीं उतारे। गाड़ी बंद रहते हुए वह आगे बढ़ते चले गए, और पत्रकार उनसे सवाल करने की कोशिश करते रहे। कुछ पत्रकारों ने रोहिणी आचार्य का नाम भी लिया, लेकिन तेजस्वी ने इसे अनसुना किया।
रोहिणी आचार्य मामले में सवाल से बचाव
तेजस्वी यादव ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उन्हें पता था कि आज उनसे रोहिणी आचार्य द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों पर सवाल किए जाएंगे। रोहिणी ने दावा किया है कि उन्हें चप्पल से मारा गया और राबड़ी आवास से निकाला गया। उन्होंने कहा, “इस मामले का जवाब सिर्फ तेजस्वी यादव, संजय यादव और रफीक ही दे सकते हैं, क्योंकि संजय और रफीक में ऐसा दुस्साहस नहीं था।”
संजय यादव के खिलाफ कार्यकर्ताओं का गुस्सा
इसी बीच राजद के कार्यकर्ताओं ने राबड़ी आवास के बाहर तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने "संजय यादव मुर्दाबाद" के नारे लगाए और आरोप लगाया कि पार्टी की हार में संजय यादव की भूमिका रही। कार्यकर्ताओं का कहना था कि पार्टी और लालू परिवार को भविष्य में नुकसान से बचाने के लिए संजय यादव को वापस हरियाणा भेजा जाना चाहिए।
इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि बिहार चुनाव में मिली हार के बाद राजद के अंदर और बाहर दोनों जगह अंदरुनी असंतोष और विवाद गहरा गया है।