बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने एक बार फिर मजबूत वापसी करते हुए 203 सीटों पर जीत दर्ज की और सत्ता कायम रखी। वहीं प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी इस चुनाव में कोई सीट हासिल नहीं कर सकी। परिणाम आने के बाद पार्टी का कहना है कि मतदाताओं का एक हिस्सा आखिरी क्षणों में ‘जंगल राज’ की आशंका से प्रभावित हो गया और एनडीए के पक्ष में झुक गया।
शनिवार (15 नवंबर) को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जनसुराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने दावा किया कि आरजेडी की सरकार बनने की संभावना ने कई वोटरों में भय पैदा किया। उनके मुताबिक, “कई लोग जनसुराज को समर्थन देने के इच्छुक थे, लेकिन आरजेडी की वापसी की आशंका के कारण उन्होंने अपना वोट एनडीए के खाते में डाल दिया।”
सीमांचल में ध्रुवीकरण बढ़ा: जनसुराज का आरोप
उदय सिंह ने यह भी कहा कि मतदान से एक दिन पहले दिल्ली के लाल किले के पास हुए विस्फोट का असर सीमांचल क्षेत्र पर देखा गया। उनके अनुसार, इस घटना के बाद इलाके में ध्रुवीकरण तेज हुआ, जिसका राजनीतिक लाभ एनडीए को मिला।
‘सरकार ने चुनाव से पहले खर्च किए हजारों करोड़’
सिंह ने एनडीए सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाने के लिए 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक के खर्च किए गए। उन्होंने कहा, “हमारे कई समर्थकों को लगा कि जनसुराज को वोट देने से कहीं आरजेडी सत्ता में न लौट आए, इसलिए आखिरी पलों में वोट एनडीए की ओर शिफ्ट हो गया।”
‘मुस्लिम समाज का समर्थन उम्मीद से कम’
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मुस्लिम मतदाताओं का भरोसा पार्टी पर उतना नहीं बन पाया, लेकिन भविष्य में समर्थन हासिल करने की उम्मीद जताई।
‘निराशा है पर हार नहीं मानी’
परिणाम से असंतुष्ट होने के बावजूद उदय सिंह ने साफ कहा कि पार्टी मैदान नहीं छोड़ेगी। “हमने भले ही एक भी सीट नहीं जीती हो, लेकिन एनडीए सरकार की नीतियों का विरोध सड़क से करेंगे। विधानसभा में नहीं, पर राज्यभर में विपक्ष की भूमिका निभाते रहेंगे।”