दिल्ली हाईवे पर शाहबाद के पास शनिवार की देररात को हुए सड़क हादसे में जान गंवाने वाले चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर संदीप व उनकी दोनों बेटियों का सेक्टर-25 स्थित श्मशान घाट में संस्कार कर दिया गया है। उनके संस्कार में रिश्तेदार या परिजन ही नहीं बल्कि शहर के काफी संख्या में लोग पहुंचे थे। मृतक संदीप के भाई ने तीनों की चिताओं को अग्नि दी। इस दौरान सबकी आंखें काफी नम थी जबकि हादसे में घायल भाई का रो-रोकर बुरा हाल हो रहा था।
बता दें कि दिल्ली-अंबाला नेशनल हाईवे-44 पर शनिवार देर रात चलती अर्टिगा कार में आग लगने से मोहाली स्थित चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर संदीप कुमार (37) और उनकी दो बेटियों परी (6) व खुशी (10) की जलकर मौत हो गई। कार में सवार प्रोफेसर संदीप की पत्नी लक्ष्मी, मां सुदेश और भाभी आरती को गंभीर हालत में चंडीगढ़ पीजीआई रेफर किया गया है। कार चला रहे प्रोफेसर के छोटे भाई सुशील व उनका 10 साल का बेटा यश सुरक्षित हैं। कार में आठ लोग सवार थे। प्रोफेसर संदीप सोनीपत स्थित पैतृक गांव रमाणा में दिवाली मनाकर चंडीगढ़ लौट रहे थे।

कार चला रहे सुशील कुमार ने बताया कि वह और उनके भाई प्रोफेसर संदीप परिवार के साथ दीपावली मनाने अपने गांव रेहमाना गए थे। शनिवार रात करीब 8:40 बजे वे सोनीपत से चंडीगढ़ के लिए चले थे। रात करीब 11 बजे मोहड़ी गांव के पास उनकी चलती कार की डिग्गी में स्पार्किंग की वजह से आग लग गई, जिसके बाद कार लॉक हो गई और सभी उसमें फंस गए। इसके बाद आग बढ़ गई और डिग्गी में बैठे सभी बच्चे झुलस गए। सुशील ने कड़ी मशक्कत के बाद कार लॉक खोला, लेकिन तब तक कार सवार लोग बुरी तरह झुलस गए थे।

राहगीरों ने अन्य कार के माध्यम से परिवार के सदस्यों को निकटवर्ती आदेश मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भिजवाया, जहां चिकित्सकों ने प्रो. संदीप, परी व खुशी (10) को मृत घोषित कर दिया था। परिवार के सदस्य नरेश कुमार ने बताया कि संदीप की पत्नी लक्ष्मी की हालत भी पीजीआई में गंभीर बनी हुई है।

दम घुटने व जलने से हुई बेटियों की मौत
फोरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. गौरव कौशिक ने बताया कि प्रोफेसर संदीप की मौत दम घुटने हुई है। संदीप हृदय रोगी भी थे। उनका दिल का ऑपरेशन हो चुका था। उसका चेहरा और बाजू ही झुलसा था, जबकि दोनों बच्चियों की मौत दम घुटने और जलने से हुई है।

गांव में दिवाली मनाने आया था परिवार
सोनीपत के गांव रहमाणा में परिवार संग दिवाली की खुशियां मनाकर वापस चंडीगढ़ लौट रहे प्रोफेसर संदीप व दो बेटियों की मौत व पांच सदस्यों के घायल होने से गांव में मातम पसर गया है। प्रोफेसर का परिवार साढ़े तीन दशक पहले चंडीगढ़ में बस गया था, लेकिन हर त्योहार पर परिवार के सदस्य गांव में आकर खुशियां मनाते थे। दिवाली मनाकर लौट रहे थे कि कुरुक्षेत्र में हुए हादसे ने तीन सदस्यों को सदा के लिए परिवार से जुदा कर दिया।

गांव रहमाणा निवासी सुरेंद्र को करीब साढ़े तीन दशक पहले चंडीगढ़ उपायुक्त कार्यालय में नियुक्ति मिली थी। इसके बाद परिवार गांव से आकर चंडीगढ़ के सेक्टर-7 में रहने लगा था। एक दशक पहले बड़े बेटे संदीप को चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में नियुक्ति मिल गई। संदीप की शादी सोनीपत के गांव खांडा की लक्ष्मी से हुई थी।
लक्ष्मी ने खानपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी की थी। वह भी करीब एक दशक से ही चंडीगढ़ हाईकोर्ट में वकालत कर रही हैं। संदीप व लक्ष्मी के पास बेटी खुशी (6) व परी (4) वर्ष थी। वहीं संदीप की मां सुदेश गृहिणी हैं।
भाई सुशील चंडीगढ़ में ही चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट यूनिट में चालक हैं और उनकी पत्नी आरती निजी स्कूल में अध्यापिका हैं। उनके पास बेटा यश (10) है। परिवार के सभी आठ सदस्य दिवाली पर्व पर पैतृक गांव रहमाणा में खुशियां मनाने आए थे। तीन दिन तक कुनबे के सदस्यों संग खूब मस्ती करने के बाद परिवार के सदस्य शनिवार देर रात को लौट रहे थे। तभी हादसे ने संदीप, बेटी खुशी व परी की जिंदगी लील ली। पत्नी व मां की हालत भी गंभीर बनी है। गाड़ी चला रहे सुशील, उनकी पत्नी आरती व बेटे यश को भी चोट लगी है।
हर खुशी मनाने गांव में आता था परिवार
सुरेंद्र को गांव से गए हुए साढ़े तीन दशक का लंबा समय बीत चुका था। उसके बाद परिवार अपनी जड़ों से अलग नहीं हुआ था। ग्रामीणों का कहना है कि हर त्योहार पर सुरेंद्र परिवार के सदस्यों को लेकर गांव में आते थे। परिवार के सदस्यों का सौम्य व्यवहार हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता था। परिवार पर दुख का पहाड़ टूटा तो पूरे गांव में मातम पसर गया।
एक साल पहले हो गई थी सुरेंद्र की मौत
सुरेंद्र का निधन एक साल पहले नवंबर में ही हुआ था। पिता के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी संदीप के कंधों पर आ गई थी। हादसे में परिवार के तीन सदस्यों के निधन से हंसता खेलता परिवार बिखर गया।