चंडीगढ़। पंजाब में इस बार धान की कटाई लगभग पूरी होने को है, लेकिन सरकारी खरीद तय लक्ष्य से पीछे छूटती दिखाई दे रही है। राज्य सरकार ने मौजूदा सीजन में 174 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य तय किया था, जबकि अब तक मंडियों में करीब 127 लाख टन ही धान की आमद दर्ज की गई है।

कृषि विभाग के मुताबिक, अभी लगभग 15 प्रतिशत खेतों में ही कटाई का काम शेष है। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कुल खरीद पिछले वर्षों की तुलना में कम रहेगी और लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल होगा।

इस साल धान उत्पादन पर दोहरी मार पड़ी। एक ओर जुलाई-अगस्त में आई बाढ़ ने निचले इलाकों की फसलों को नुकसान पहुंचाया, वहीं दूसरी ओर फसल में फैले ‘शीथ ब्लाइट’ रोग ने उपज घटा दी। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इन कारणों से औसतन प्रति एकड़ पैदावार में गिरावट आई है।

पंजाब मंडी बोर्ड के अनुसार, सबसे अधिक धान की आमद फरीदकोट, मोगा, बठिंडा, संगरूर और लुधियाना की मंडियों में हुई है, जबकि तरनतारन, गुरदासपुर और फिरोजपुर जिलों में बाढ़ की वजह से उत्पादन घटा है।

राज्य की प्रमुख एजेंसियां मार्कफेड, पनग्रेन, पंजाब स्टेट वेयरहाउसिंग कारपोरेशन और एफसीआइ अब तक आई फसल की खरीद लगभग पूरी कर चुकी हैं। किसानों को भुगतान भी समय पर मिल रहा है। हालांकि, उत्पादन में आई कमी का असर केंद्र को भेजे जाने वाले चावल के कोटे पर पड़ सकता है।

कृषि विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि शेष इलाकों में मौसम अनुकूल रहा, तो कुल आमद 145 से 150 लाख टन के बीच रह सकती है, जो लक्ष्य से लगभग 25 लाख टन कम होगी।

विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि आने वाले सीजन में राज्य को रोग-प्रतिरोधी बीजों के प्रयोग और जलभराव वाले क्षेत्रों में फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि ऐसी स्थिति दोबारा न बने।

सरकार और खरीद एजेंसियां दावा कर रही हैं कि चुनौतियों के बावजूद किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य और भुगतान समय पर उपलब्ध कराया जाएगा।