बस्तर में बीआरओ की बड़ी कामयाबी: नक्सल क्षेत्र में बारिश में भी अब सुरक्षित सफर संभव

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सुदूरवर्ती और नक्सल प्रभावित इलाकों में अब विकास की रफ्तार तेज हो रही है। सुकमा जिले में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पुवर्ती के पास सिलगेर मार्ग पर मजबूत बेली ब्रिज का निर्माण कर न केवल स्थानीय निवासियों के आवागमन को आसान बनाया है, बल्कि यह क्षेत्र में बदलाव की नई शुरुआत का प्रतीक भी बन गया है।

पहले हर मानसून में यह इलाका नदी के तेज बहाव के कारण ग्रामीणों के लिए खतरा बन जाता था। अस्थायी लकड़ी के पुलों के सहारे या नदी पार करते समय कई बार जान जोखिम में डालनी पड़ती थी। लेकिन अब 15 मीटर लंबे लोहे के इस पुल से सिलगेर, पुवर्ती, तिम्मापुरम, गोल्लाकोंडा, टेकलगुड़ा, जब्बागट्टा और तुमलपाड़ जैसे गांवों के लोग पूरे साल निर्बाध आवाजाही कर सकेंगे।

इस क्षेत्र को नक्सली गतिविधियों का गढ़ माना जाता है और यहां बीआरओ द्वारा निर्माण कार्य पूरा करना बेहद कठिन कार्य था। सुरक्षा बलों की निगरानी में, बिना किसी प्रचार के बीआरओ के इंजीनियरों और मजदूरों ने तेज़ी से कार्य को अंजाम दिया। बेली ब्रिज की तकनीक इस दुर्गम भूभाग के लिए एकदम उपयुक्त साबित हुई, जिसे अपेक्षाकृत कम समय में पूरा किया गया।

केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए वर्ष 2024-25 में 66 करोड़ 74 लाख रुपये की लागत से 64 किलोमीटर लंबी सड़क परियोजना को स्वीकृति दी है। इसमें एलमागुड़ा से पुवर्ती तक बनने वाली 51 किलोमीटर की सड़क सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जिसकी अनुमानित लागत 53 करोड़ रुपये है। इस सड़क से उन गांवों को सीधा लाभ मिलेगा जो आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

स्थानीय लोगों में जागी नई उम्मीद

गांव के निवासी भीमा, नंदा और सुक्को बताते हैं कि पहले हर बार नदी पार करना जोखिम भरा होता था। बरसात में बच्चे स्कूल नहीं जा पाते थे और बीमार लोगों को अस्पताल तक पहुंचाना मुश्किल था। लेकिन अब पुल के बनने से न सिर्फ गांव जुड़ गए हैं बल्कि लोगों में भी भरोसा जगा है।

परिवर्तन की राह पर नक्सल प्रभावित क्षेत्र

हाल के वर्षों में इस इलाके में लगातार सुरक्षा कैंपों की स्थापना के साथ-साथ आधारभूत ढांचे का विकास हो रहा है। सड़कों, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं अब धीरे-धीरे गांवों तक पहुंच रही हैं। बेली ब्रिज इस बदलाव का प्रत्यक्ष उदाहरण है।

जनप्रतिनिधियों ने किया सराहना

जिला पंचायत सदस्य कोरसा सन्नू ने इसे विकास और विश्वास का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह केवल एक पुल नहीं, बल्कि सुशासन और बदलाव की दिशा में एक ठोस कदम है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की रणनीति धरातल पर नजर आ रही है, और मार्च 2026 तक नक्सलवाद पर निर्णायक चोट की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here