छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले से मानव तस्करी के मामले में गिरफ्तार की गई दो ननों को ज़मानत मिल गई है। यह निर्णय बिलासपुर स्थित एनआईए विशेष अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनाया। मामले में सुनवाई एक अगस्त को पूरी हो गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
मामले की पृष्ठभूमि में, 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर धर्मांतरण और मानव तस्करी को लेकर विवाद हुआ था। बजरंग दल से जुड़े कुछ लोगों ने दो ननों और एक युवक को तीन आदिवासी युवतियों को उत्तर प्रदेश के आगरा ले जाने के आरोप में रोका। आरोप था कि युवतियों को काम दिलाने के नाम पर ले जाकर कथित रूप से बेचा जाना था।
यह मामला भिलाई-3 थाना क्षेत्र के अंतर्गत दुर्ग जीआरपी चौकी में दर्ज किया गया था। गिरफ्तार आरोपियों में नारायणपुर की रहने वाली मिशनरी सिस्टर प्रीति, वंदना और युवक सुखमन मंडावी के नाम सामने आए थे। बताया गया कि ये तीनों कमलेश्वरी, ललिता और सुखमति नामक युवतियों को लेकर आगरा जा रहे थे।
मानव तस्करी के आरोपों के तहत की गई कार्रवाई के बाद दोनों नन को दुर्ग जेल में रखा गया था। अब अदालत से ज़मानत मिलने के बाद उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया है।