बस्तर। जिसे कभी नक्सली हिंसा और खून-खराबे से जोड़ा जाता था, वही क्षेत्र अब खेल और सकारात्मक बदलाव की मिसाल बनता जा रहा है। प्रियदर्शिनी स्टेडियम में आयोजित बस्तर ओलंपिक-2025 के समापन समारोह में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अब बस्तर की पहचान बंदूक नहीं, बल्कि मैदान में बहता पसीना तय करेगा। इस ओलंपिक में बस्तर संभाग के सात जिलों से 2676 खिलाड़ी भाग लिए, जिनमें 761 से अधिक ऐसे युवा भी शामिल थे, जो पहले समाज की मुख्यधारा से भटके थे और अब खेल के जरिए नया भविष्य बना रहे हैं।
2030 तक बस्तर बनेगा आदर्श आदिवासी संभाग
अमित शाह ने मंच से ऐलान किया कि 2030 तक बस्तर को देश का सबसे विकसित आदिवासी संभाग बनाया जाएगा। इसके तहत बुनियादी ढांचे से लेकर रोजगार, सड़कें, बिजली, वन उत्पादों की प्रोसेसिंग यूनिट और डेयरी सेक्टर में निवेश तक हर मोर्चे पर काम होगा।
नक्सल प्रभाव तेजी से घटा
गृहमंत्री ने कहा कि बस्तर अब नक्सलवाद मुक्त होने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। हाल के वर्षों में सुरक्षा के साथ विश्वास का माहौल बना है, और युवा अब हिंसा छोड़कर खेल, पढ़ाई और रोजगार की ओर लौट रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर बस्तर की उपस्थिति
अमित शाह ने खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दी और कहा कि उनका सपना है कि नक्सल मुक्त बस्तर ओलंपिक अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भी अपनी पहचान बनाए। उन्होंने यह भी कहा कि वे 2026 में बस्तर आएंगे और इस बदलाव को अपनी आंखों से देखेंगे। बस्तर ओलंपिक-2025 केवल खेल आयोजन नहीं है, बल्कि उस बदलाव की तस्वीर है जहां हिंसा की जगह हुनर और डर की जगह उम्मीद ने ले ली है।