नई दिल्ली। राजधानी में बेसहारा गायों की संख्या में लगातार वृद्धि के कारण सड़कों पर उनकी भटकन आम दृश्य बन गई है, जिससे यातायात के लिए खतरा बना हुआ है। पिछले 21 वर्षों में नई गोशाला नहीं बनने के कारण समस्या और गंभीर हो गई है।

वर्तमान में उपलब्ध चार गोशालाओं की क्षमता 19,838 है, जबकि इनमें लगभग 20,500 गायें हैं। इस स्थिति को सुधारने के लिए घुम्मनहेड़ा में नई गोशाला बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। विकास मंत्री कपिल मिश्रा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इसके संचालन और रखरखाव के लिए अभिरुचि आमंत्रण (ईवोआई) प्रक्रिया के माध्यम से योग्य एनजीओ, ट्रस्ट, फाउंडेशन या निजी कंपनियों को जिम्मेदारी सौंपी जाने का निर्णय लिया गया।

कपिल मिश्रा ने कहा कि सरकार का उद्देश्य बेसहारा गायों को सड़कों से हटाकर सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण प्रदान करना है। उन्होंने बताया कि यदि गोशालाएं आत्मनिर्भर बन जाएं, तो यह समाज और पर्यावरण दोनों के लिए आदर्श मॉडल साबित होगा। नई गोशाला सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत स्थापित की जाएगी, जिसमें चयनित संस्था भूमि के लाइसेंस डीड के आधार पर गोशाला का निर्माण, संचालन और देखभाल करेगी।

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि चयनित संस्था को एक वर्ष के भीतर पर्याप्त संसाधन और जनशक्ति उपलब्ध कराकर गोशाला स्थापित करनी होगी। संचालन के दौरान बेसहारा पशुओं की देखभाल, भोजन, स्वास्थ्य और निगरानी की पूरी जिम्मेदारी उसी संस्था की होगी।

जानकारी के अनुसार, वर्ष 1994 में विकास विभाग की पंचायत इकाई ने पशुपालन इकाई को छह गोशालाओं के संचालन के लिए 99 वर्षों की लीज़ पर भूमि आवंटित की थी। इनमें से एक गोशाला कुछ समय बाद ही बंद हो गई। घुम्मनहेड़ा स्थित आचार्य सुशील मुनि गोसदन का लाइसेंस 2018 में कई गायों की मृत्यु और अनुबंध शर्तों के उल्लंघन के कारण निरस्त कर दिया गया था।

बैठक में विकास आयुक्त शूरवीर सिंह, संबंधित विभाग के अधिकारी और स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।