नई दिल्ली। वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CQUM) ने एनसीआर के सभी राज्यों और दिल्ली सरकार को नए दिशा-निर्देश दिए हैं। यह निर्णय सब-कमेटी ऑन सेफगार्डिंग एंड एनफोर्समेंट की 23वीं बैठक में लिया गया, जिसमें प्रत्येक सेक्टर की प्रवर्तन कार्रवाई की समीक्षा की गई।
बैठक में दिल्ली में मुख्य रूप से ट्रैफिक जाम, सड़क की धूल और नगर निगम कचरे (एमएसडब्ल्यू) के उचित निपटान को लेकर चर्चा हुई। आयोग ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिए हैं कि प्रदूषण हॉटस्पॉट क्षेत्रों में मासिक बैठकें आयोजित की जाएँ, सड़कों से धूल को वैक्यूम मशीनों के माध्यम से हटाया जाए और एमसीडी व एनडीएमसी के जरिए कचरे का सही संग्रहण एवं निपटान सुनिश्चित किया जाए। इसके अलावा, एमएसडब्ल्यू और बायोमास जलाने पर रात में गश्त बढ़ाई जाएगी और ईंधन स्टेशन पर एएनपीआर कैमरों के जरिए निगरानी सख्त की जाएगी।
हरियाणा के एनसीआर जिलों के प्रदर्शन को पर्याप्त नहीं मानते हुए आयोग ने राज्य को सभी विभागों और एजेंसियों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने, गुप्त और आकस्मिक निरीक्षण टीम बनाने और ट्रैफिक कम करने के उपाय करने का निर्देश दिया। वहीं, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के एनसीआर जिलों का प्रदर्शन बेहतर पाया गया, लेकिन वाहन क्षेत्रों में सुधार के लिए केंद्रित कार्रवाई की समय-सीमा तय की गई। दोनों राज्यों को 31 दिसंबर 2025 तक वाहन एग्रीगेटर्स, डिलीवरी सर्विस प्रोवाइडर्स और ई-कॉमर्स संस्थाओं के लिए वेब पोर्टल विकसित करना और निगरानी नीति अधिसूचित करना अनिवार्य किया गया है। नियमों की अवहेलना पर अधिकारियों के खिलाफ सीएक्यूएम अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सभी एनसीआर राज्य और दिल्ली सरकार एआई-संचालित और अन्य आधुनिक तकनीकों के माध्यम से निगरानी, मॉनिटरिंग और डेटा एनालिटिक्स को और बेहतर बनाएंगे। आयोग ने जोर देकर कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता सुधार के लिए सभी एजेंसियों का एकीकृत प्रयास आवश्यक है। सभी विभागों ने वायु प्रदूषण नियंत्रण उपायों की नियमित समीक्षा और क्षेत्रवार सख्त कार्रवाई की प्रतिबद्धता जताई है, जिससे सर्दियों में वायु गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद बढ़ गई है।