नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में सोमवार को हुए ब्लास्ट के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर काम कर रही हैं और देशभर में लगातार छापेमारी जारी है। अब तक 18 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जांच में नई जानकारियां सामने आई हैं, जिनसे यह स्पष्ट हुआ कि ब्लास्ट में शामिल आरोपियों ने पहले लाल किले की रेकी भी की थी।
जांच एजेंसियों के मुताबिक, ब्लास्ट में इस्तेमाल हुई i20 कार दस दिनों तक अल-फलाह यूनिवर्सिटी के परिसर में खड़ी रही। कार डॉ. उमर की थी और इसे डॉ. मुज़म्मिल की स्विफ्ट के पास पार्क किया गया था, जो डॉ. शाहीन के नाम पर रजिस्टर्ड है। जांच में यह भी पता चला है कि कार को 29 अक्टूबर से 10 नवंबर तक यूनिवर्सिटी परिसर में रखा गया। उसी दिन कार को पॉल्यूशन सर्टिफिकेट के लिए बाहर निकाला गया, और सीसीटीवी फुटेज में तीन संदिग्ध लोग नजर आए।
10 नवंबर की सुबह डॉ. उमर ने घबराहट में कार को यूनिवर्सिटी से बाहर निकाला। इसके बाद कार पहले कनॉट प्लेस, फिर मयूर विहार और अंत में चांदनी चौक के सुनेहरी मस्जिद की पार्किंग में देखी गई। प्रारंभिक जांच में यह शक है कि इस मॉड्यूल का हैंडलर विदेश से संचालन कर रहा था।
फॉरेंसिक जांच में यह खुलासा हुआ कि धमाके में अमोनियम नाइट्रेट के साथ हाई-ग्रेड मिलिट्री एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल किया गया। वहीं, पूछताछ में डॉ. मुज़म्मिल और डॉ. उमर ने बताया कि उन्होंने जनवरी के पहले सप्ताह में लाल किले की रेकी की थी। फोन डंप डेटा से यह भी पता चला कि 26 जनवरी को लाल किले पर हमला करने की योजना बनाई गई थी।
जांच एजेंसियों के अनुसार, जिस कार में ब्लास्ट हुआ, वह घटना से पहले दिल्ली के महत्वपूर्ण इलाकों जैसे कनॉट प्लेस और मयूर विहार में भी गई थी। अब दिल्ली पुलिस और अन्य एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क और विदेशी कनेक्शन की तहकीकात कर रही हैं।