दिल्ली की अदालत ने रिंग रोड पर हुई भीषण बीएमडब्ल्यू दुर्घटना मामले में आरोपी महिला गगनप्रीत कौर को दो दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इस हादसे में वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी नवजोत सिंह की मौत हो गई थी, जबकि उनकी पत्नी संदीप कौर गंभीर रूप से घायल हुईं। ड्यूटी मजिस्ट्रेट आकांक्षा सिंह ने माना कि आगे पुलिस हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है।
गगनप्रीत कौर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने अदालत के फैसले की पुष्टि की। अदालत ने उनकी जमानत याचिका पर पुलिस और पीड़ित परिवार से जवाब मांगा है, जिस पर सुनवाई 17 सितंबर को होगी।
परिवार के सवाल और पुलिस का पक्ष
गगनप्रीत को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद गिरफ्तार किया गया। प्राथमिकी में आरोप है कि उन्होंने घायल नवजोत और संदीप को पास के अस्पताल की बजाय करीब 19 किलोमीटर दूर स्थित नू-लाइफ अस्पताल पहुंचाया। परिजनों का कहना है कि वहां आरोपी और उनके पति का पहले इलाज हुआ, जबकि पीड़ितों को देर से उपचार मिला।
पुलिस की ओर से दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक, बीएमडब्ल्यू पहले डिवाइडर से टकराई और फिर नवजोत की बाइक से टकराने के बाद डीटीसी बस से भिड़ गई। बचाव पक्ष ने एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी और डीसीपी के बयानों व सीसीटीवी फुटेज में विरोधाभास का मुद्दा उठाया।
अस्पताल ले जाने पर विवाद
गगनप्रीत का कहना है कि उन्होंने पीड़ितों को नू-लाइफ अस्पताल इसलिए पहुंचाया क्योंकि वह पहले से उस अस्पताल से परिचित थीं। उनका कहना है कि हादसे के बाद वह सदमे में थीं और उन्हें लगा कि वहां बेहतर इलाज मिल सकेगा।
मामला दर्ज और जांच जारी
गगनप्रीत के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत लापरवाही से वाहन चलाने और गैर-इरादतन हत्या सहित अन्य आरोप दर्ज किए गए हैं। हादसे के समय गाड़ी में गगनप्रीत, उनके पति परीक्षित मक्कड़, बच्चा और नौकरानी मौजूद थे। पुलिस अब अस्पताल से जुड़े मेडिकल रिकॉर्ड और रिपोर्टों की भी जांच कर रही है।