हरियाणा के गुरुग्राम और फरीदाबाद में हुए किडनी घोटाले की यादें अभी धुंधली भी नहीं पड़ी थीं कि अब एक और गंभीर मामला सामने आया है, इस बार केंद्र में है हार्ट सर्जरी घोटाला। फरीदाबाद के बीके सिविल अस्पताल में एक फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट ने सात महीनों में 55 हृदय रोगियों की सर्जरी कर डाली, जिनमें से तीन मरीजों की जान चली गई और कई अन्य की हालत बिगड़ने पर उन्हें निजी अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ा।

2018 में शुरू हुआ था हार्ट सेंटर, डॉक्टर्स की पुष्टि किए बिना हुई थी नियुक्ति

जानकारी के अनुसार, अस्पताल परिसर में वर्ष 2018 में PPP मोड पर एक हार्ट सेंटर की शुरुआत की गई थी, जिसका संचालन मेडिट्रीना हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक निजी कंपनी द्वारा किया जा रहा था। आरोप है कि इस कंपनी ने डॉक्टरों का ठीक से सत्यापन किए बिना उन्हें सेवा में रख लिया। इसी कड़ी में जुलाई 2024 में ‘डॉ. पंकज मोहन’ नाम के व्यक्ति की कार्डियोलॉजिस्ट के पद पर नियुक्ति की गई।

नकली डॉक्टर की पोल ऐसे खुली

सात महीनों तक वह व्यक्ति नियमित रूप से अस्पताल आता रहा और मरीजों का इलाज करता रहा। इसी दौरान उसने कुल 55 मरीजों की हार्ट सर्जरी की। एक दिन जब वह अस्पताल नहीं पहुंचा, तो एक मरीज उसे खोजते हुए उसी नाम के असली डॉक्टर की निजी क्लीनिक पर पहुंच गया। वहां पता चला कि अस्पताल में जो डॉक्टर कार्यरत है, वह असल में कोई और है और असली डॉ. पंकज मोहन के नाम व मुहर का इस्तेमाल कर रहा है। इस खुलासे के बाद असली डॉक्टर ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना दी।

सीएम विंडो में शिकायत के बाद हुई हलचल

हालांकि शुरुआती शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन जब एक वकील ने गृह मंत्रालय और सीएम विंडो में इसकी शिकायत की, तो प्रशासन में हड़कंप मच गया। इसके बाद जांच के आदेश दिए गए और फिलहाल मामला एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की जांच में है।

तीन मौतें, दर्जनों की हालत बिगड़ी

ACB की शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी ने सात महीनों के भीतर 1,000 से अधिक मरीजों को देखा, जिनमें से 55 को हार्ट सर्जरी के लिए भर्ती किया गया। इन सर्जरी में तीन मरीजों की मौत हो गई, जबकि 30 से अधिक को गंभीर स्थिति में अन्य अस्पतालों में रेफर करना पड़ा। विशेषज्ञों के अनुसार यह स्थिति अनुभवहीन और अपात्र व्यक्ति द्वारा जटिल सर्जरी करने के चलते उत्पन्न हुई।