श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने बुधवार को प्रदेश में आरक्षण के युक्तिकरण पर सहमति दे दी है। अब प्रस्ताव को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की मंजूरी के लिए भेजा गया है, जिसके बाद लंबे समय से लंबित आरक्षण मामले का समाधान होने की संभावना है।

सरकार ने आरक्षण नीति पर पारदर्शी प्रक्रिया अपनाते हुए मंत्रिमंडल स्तरीय उपसमिति का गठन किया था। इस समिति का नेतृत्व शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री सकीना इत्तू ने किया था। समिति ने आम जनता और विभिन्न वर्गों से सुझाव भी लिए, जिनके आधार पर कैबिनेट ने बुधवार को प्रस्ताव को मंजूरी दी।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर कैबिनेट में पहले भी तीन बार चर्चा हुई थी। "हमने जितना संभव था, आरक्षण नीति को तर्कसंगत बनाने के लिए किया। उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद हम इसे सार्वजनिक करेंगे," उन्होंने कहा।

सूत्रों के अनुसार, प्रस्ताव के तहत सामान्य वर्ग के आरक्षण में वृद्धि की जाएगी। वर्तमान में सामान्य वर्ग को 40 प्रतिशत आरक्षण मिलता है, जबकि आरक्षण की कुल सीमा 60 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। सामान्य वर्ग के कोटे को बढ़ाने के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) और पिछड़े क्षेत्रों के निवासी (RBA) से कुछ प्रतिशत कटौती की जाएगी।

प्रदेश में मौजूदा आरक्षण का स्वरूप

श्रेणीआरक्षण प्रतिशत
अनुसूचित जनजाति (ST)20%
गुज्जर-बकरवाल10%
पहाड़ी जाति10%
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC)8%
अनुसूचित जाति (SC)8%
बॉर्डर एरिया निवासी (RBA)4%
पिछड़े क्षेत्रों के निवासी10%
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS)10%
सामान्य वर्ग40%

कैबिनेट स्तरीय उपसमिति की सिफारिश के अनुसार, सामान्य वर्ग को अधिक आरक्षण प्रदान करने के लिए EWS और RBA में से सात प्रतिशत तक कटौती की जा सकती है। मंत्री सकीना इत्तू ने कहा कि जनता की राय को शामिल करते हुए यह प्रस्ताव तैयार किया गया है।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, "हमने आरक्षण को अधिक न्यायसंगत बनाने का प्रयास किया है। सामान्य वर्ग के कोटे में वृद्धि से सुनिश्चित होगा कि हर पात्र व्यक्ति अपने अधिकारों का लाभ ले सके। उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद इसे सभी के सामने पेश किया जाएगा।"