पर्यावरणविद् और वैज्ञानिक सोनम वांगचुक द्वारा स्थापित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (एचआईएएल) के कार्यों को संसदीय समिति ने सराहनीय और प्रेरणादायी बताया है। शिक्षा, महिला, युवा और खेल मामलों की स्थायी संसदीय समिति ने एचआईएएल को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मान्यता दिए जाने की सिफारिश की है। कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली इस समिति ने संसद में पेश अपनी ताज़ा रिपोर्ट में अब तक संस्थान को मान्यता न मिलने पर चिंता जताई है।

समिति ने शिक्षा मंत्रालय को सुझाव दिया है कि एचआईएएल के मॉडल का गंभीरता से अध्ययन किया जाए और शिक्षा में नवाचार केंद्रों या अन्य माध्यमों से इसे देश के विभिन्न हिस्सों में लागू करने की संभावनाओं पर विचार किया जाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि लद्दाख दौरे के दौरान समिति एचआईएएल की शैक्षणिक व्यवस्था, शोध कार्य और उद्यमिता आधारित इकोसिस्टम से खासा प्रभावित हुई, विशेषकर स्थानीय सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय जरूरतों से जुड़ी अनुभवात्मक शिक्षा की इसकी पहल से।

समिति ने यह भी रेखांकित किया कि एचआईएएल ने सीमित संसाधनों के बावजूद स्थानीय समुदाय पर व्यापक प्रभाव डाला है। आइस स्तूप जैसी नवाचारी परियोजनाओं और सामुदायिक पहलों के माध्यम से संस्थान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। इसके बावजूद यूजीसी द्वारा अब तक मान्यता न दिया जाना चिंताजनक बताया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एचआईएएल राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों को जमीन पर उतारने का सफल उदाहरण है, जहां परियोजना आधारित पढ़ाई, समुदाय की भागीदारी और भारतीय ज्ञान परंपराओं का समन्वय देखने को मिलता है। समिति ने स्पष्ट रूप से दोहराया कि यूजीसी को एचआईएएल को शीघ्र मान्यता देनी चाहिए और इसके मॉडल को व्यापक स्तर पर अपनाने के लिए गहन अध्ययन कराया जाना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग से जुड़ी हिंसक घटनाओं के बाद 26 सितंबर को सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था। इन घटनाओं में चार लोगों की मौत और करीब 90 लोग घायल हुए थे। बाद में प्रशासन ने एचआईएएल को आवंटित भूमि निरस्त कर दी थी, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कथित नियम उल्लंघनों के आधार पर संस्थान का एफसीआरए पंजीकरण भी रद्द कर दिया था।