रांची। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड में अवैध कोयला कारोबार को लेकर राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने प्रेसवार्ता में कहा कि अब कोयला चोरी केवल अपराधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि पुलिस और कोल माफिया की मिलकर चल रही साझेदारी के तहत यह व्यापार संगठित रूप से संचालित हो रहा है।
मरांडी ने बताया कि पहले कोयला चोर चोरी कर पुलिस तक कमीशन पहुंचाते थे, लेकिन वर्तमान में स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। धनबाद जिले के निरसा, बाघमारा और झरिया क्षेत्रों में प्रतिदिन लगभग 150-200 ट्रकों में कोयला निकाला जाता है, जो 20-25 थानों के क्षेत्र में संचालित होता है।
उन्होंने दावा किया कि इन अवैध साइटों को चालू करने के लिए “हाउस” से अनुमति लेना पड़ता है। हाउस के निर्देश मिलने के बाद ही एसएसपी साइट को मंजूरी देते हैं। साइट आवंटन के नाम पर एक करोड़ रुपये का एडवांस भी वसूला जाता है। प्रति टन कोयले का कारोबार 8-10 हजार रुपये में होता है और इसका नियंत्रण हाउस के हाथ में रहता है।
मरांडी ने आरोप लगाया कि इस अवैध व्यापार में थाना प्रभारी, इंस्पेक्टर, डीएसपी, एसडीओ, ग्रामीण एसपी, खनन अधिकारी और अंचलाधिकारी समेत कई अधिकारी हिस्सेदार हैं। उन्होंने बाघमारा डीएसपी पुरुषोत्तम सिंह सहित कई पुलिस अधिकारियों और स्थानीय माफियाओं के नाम भी गिनाए, जिन पर विभिन्न साइटों को संचालित करने का आरोप है। कुछ साइटें सीधे डीएसपी के नियंत्रण में चल रही हैं।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इन आरोपों को अस्वीकार करते हैं, तो राज्य सरकार को उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।