झारखंड सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर लगातार कदम उठा रही है। इसी क्रम में शुक्रवार को पंचायती राज विभाग ने राज्य की निर्वाचित महिला पंचायत प्रतिनिधियों के लिए सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका सिंह पांडेय ने भाग लिया और कहा कि आज महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं और झारखंड इसका बेहतरीन उदाहरण है, जहां पंचायतों में 55 फीसदी प्रतिनिधि महिलाएं हैं।
उन्होंने कहा कि जिस तरह महिलाएं अपने घरों को व्यवस्थित ढंग से संभालती हैं, उसी तरह वे पंचायतों का भी बेहतर प्रबंधन कर सकती हैं। मंत्री ने प्रशिक्षण के महत्व पर बल देते हुए महिला प्रतिनिधियों से अपने अधिकारों को जानने और पूरे मनोयोग से प्रशिक्षण में भाग लेने की अपील की।
दीपिका सिंह पांडेय ने यह भी स्पष्ट किया कि पंचायत कार्यालयों में केवल निर्वाचित मुखिया ही जिम्मेदारी निभाएं, किसी भी तरह से उनके पति का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पंचायतों को 15वें वित्त आयोग से मिलने वाले फंड को ज़मीनी स्तर पर सफलतापूर्वक लागू करने में महिला प्रतिनिधियों की अहम भूमिका होगी।
मंत्री ने यह भी कहा कि यह पहल न केवल महिलाओं को सम्मान देती है, बल्कि उन्हें ग्रामीण विकास की मुख्य धारा में सक्रिय योगदान देने का अवसर भी प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि अब महिलाएं सिर्फ प्रतिनिधि नहीं, बल्कि परिवर्तन की वाहक बन चुकी हैं और यह प्रशिक्षण उन्हें उस भूमिका के लिए और अधिक सक्षम बनाएगा।
पंचायती राज निदेशक बी. राजेश्वरी ने जानकारी दी कि राज्यभर की लगभग 17,000 महिला पंचायत प्रतिनिधियों को विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा, जो मॉडल स्तर से शुरू होकर प्रमंडलीय और फिर ब्लॉक स्तर तक चलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि कई क्षेत्रों में अब तक प्रतिनिधि महिलाएं सक्रिय भूमिका नहीं निभा पाईं, लेकिन यह प्रशिक्षण उन्हें नेतृत्व में सशक्त बनाएगा।
उन्होंने अफीम की खेती को रोकने में महिला प्रतिनिधियों की भूमिका की भी सराहना की। कार्यक्रम का संचालन समन्वयक सलोनी ने किया, जबकि विभागीय योजनाओं की जानकारी डिप्टी डायरेक्टर शैलेश कुमार ने दी। सीआरटी की प्राचार्य पद्मनाम ने अतिथियों का स्वागत किया।
प्रशिक्षण में भाग लेने वाली महिला प्रतिनिधियों—सिंधु मुर्मू, सुमन सिरका और मधु लकड़ा—ने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण बेहद उपयोगी हैं। उन्होंने कहा, “जब तक हमें योजनाओं की जानकारी नहीं होगी, तब तक हम लोगों तक विकास की बात कैसे पहुंचा पाएंगे।”