झारखंड में एसआईआर को लेकर राजनीतिक घमासान गहराता जा रहा है। इसी बीच स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी का एक बयान नई विवाद की वजह बन गया है। जामताड़ा में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने लोगों से अपील की कि यदि एसआईआर के नाम पर कोई बीएलओ उनके घर आकर मतदाता सूची का सत्यापन या नाम हटाने की प्रक्रिया करे, तो उन्हें कमरे में बंद कर इसकी सूचना तुरंत मंत्री को दें। उनका कहना था कि उनके पहुंचने के बाद ही उस कर्मचारी को बाहर जाने दिया जाए।

मंत्री के इस बयान के सार्वजनिक होने के बाद राज्य की राजनीति और गरमा गई। विपक्ष के साथ-साथ सरकार के भीतर भी इस टिप्पणी को लेकर असहमति सामने आई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बयान को असंवैधानिक बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि एसआईआर का विरोध लोकतांत्रिक तरीके से होना चाहिए, न कि सरकारी कर्मचारियों को रोककर।

वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता राकेश सिंहा ने कहा कि एसआईआर के खिलाफ विधानसभा पहले ही बिल पारित कर चुकी है और यह पूरा विवाद भाजपा की “वोट बैंक की साज़िश” का हिस्सा है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग के माध्यम से मतदाता सूची में गड़बड़ी की कोशिश की जा रही है और कांग्रेस इसका विरोध राष्ट्रीय स्तर पर कर रही है।

उधर, भाजपा ने भी मंत्री के बयान को बेहद गैरजिम्मेदाराना बताया। पार्टी प्रवक्ता प्रतुलनाथ शाहदेव ने कहा कि ऐसे बयान केवल ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से दिए जाते हैं। उनका कहना था कि जब कोई मंत्री अपने ही सरकार के कर्मचारियों को कमरे में बंद करने की बात कहे, तो उसे विरोध नहीं बल्कि राजनीतिक दिखावा ही माना जाएगा।