नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को आज खारिज कर दिया। इस याचिका में उज्जैन के महाकाल मंदिर विस्तार के दौरान तोड़ी गई तकिया मस्जिद को दोबारा बनवाने की मांग की गई थी।
करीब 10 माह पहले महाकाल मंदिर परिसर में पार्किंग विस्तार के लिए राज्य सरकार ने 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद को गिरा दिया था। इसके बाद मस्जिद के कुछ स्थानीय निवासियों ने पुनर्निर्माण की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अब इन मांगों को सिरे से खारिज कर दिया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा:
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने सुनवाई में कहा कि मस्जिद का विध्वंस भूमि अधिग्रहण और कानून के तहत किया गया, और इसके लिए उचित मुआवजा भी प्रदान किया गया। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं ने पहले ही हाईकोर्ट में याचिका वापस ले दी थी, इसलिए अब वही मुद्दा पुनः उठाना संभव नहीं है।
याचिकाकर्ताओं के वकील की दलील:
याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ वकील एम.आर. शमशाद ने दलील दी कि हाईकोर्ट का निर्णय अनुचित था और मस्जिद के नमाज अदा करने के अधिकार को नजरअंदाज किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने सही फैसला दिया और मुआवजा पहले ही प्रदान किया जा चुका है।
कोर्ट का निष्कर्ष:
याचिकाकर्ताओं का दावा था कि मस्जिद 1985 में वक्फ संपत्ति घोषित हुई थी और जनवरी 2024 तक उपयोग में थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब बहुत देर हो चुकी है और कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। जस्टिस नाथ ने स्पष्ट किया कि भूमि अधिग्रहण के नियमों के तहत प्रक्रिया पूरी की गई थी और याचिका वापस होने के बाद पुनः राहत मांगना संभव नहीं है।