महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा सभी 12 दोषियों को बरी किए जाने पर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने सोमवार को कहा कि हाईकोर्ट का यह निर्णय बेहद चौंकाने वाला है और राज्य सरकार इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देगी।

हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने फैसले में अभियोजन पक्ष की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए गवाहियों और पहचान परेड की प्रक्रिया को लेकर गंभीर टिप्पणियां कीं। अदालत ने सभी दोषियों को संदेह का लाभ देते हुए 25 हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश सुनाया।

187 लोगों की गई थी जान, अब नहीं रहा कोई दोषी

11 जुलाई 2006 को मुंबई की भीड़भाड़ वाली लोकल ट्रेनों में हुए सात सिलसिलेवार धमाकों में 187 लोगों की जान चली गई थी और 800 से अधिक घायल हुए थे। लेकिन लगभग दो दशक बाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद इस भयावह हमले में कोई भी आरोपी दोषी नहीं माना गया है।

निचली अदालत ने 2015 में इस मामले में 12 लोगों को दोषी ठहराया था, जिनमें से पांच को मौत की सजा और सात को उम्रकैद दी गई थी। एक अन्य आरोपी को उसी समय बरी कर दिया गया था।

11 मिनट में सात धमाके, पूरा शहर दहल उठा था

धमाकों की जांच से सामने आया कि घटना के दिन शाम करीब 6:24 बजे लोग जब लोकल ट्रेनों से घर लौट रहे थे, तभी अलग-अलग स्थानों पर सात धमाके हुए। जांच में पता चला कि विस्फोटों में प्रेशर कुकरों में भरे आरडीएक्स और अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था, जिनमें टाइमर भी लगे थे। मुंबई की विभिन्न रेल लाइनों पर यह धमाके 6:35 बजे तक हुए, यानी करीब 11 मिनट तक लगातार धमाकों से शहर दहलता रहा।

कौन थे आरोपी और क्या रही सजा?

मामले में कुल 13 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें से एक की 2021 में मृत्यु हो गई, जबकि शेष 12 को सजा सुनाई गई थी। विशेष अदालत ने कमाल अंसारी, मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख, एहतेशाम सिद्दीकी, नावीद हुसैन खान और आसिफ खान को मौत की सजा दी थी। इन्हें मकोका के तहत हत्या, साजिश और आतंकवाद फैलाने के आरोपों में दोषी माना गया था।

उम्रकैद पाने वालों में तनवीर अहमद, मोहम्मद माजिद, शेख मोहम्मद अली, मोहम्मद साजिद, मुजम्मिल रहमान, सुहैल शेख और जमीन रहमान शामिल थे। वहीं वाहिद शेख को निचली अदालत ने बरी कर दिया था, हालांकि वह नौ साल तक जेल में रहा।