महाराष्ट्र के ठाणे जिले में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोपी 22 वर्षीय युवक को अदालत ने बरी कर दिया है। ठाणे की पॉक्सो मामलों की विशेष जज रूबी यू. मालवंकर ने 13 नवंबर को सुनाए अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से परे साबित करने में विफल रहा। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि पीड़िता और आरोपी के बीच संबंध कमोबेश सहमति पर आधारित प्रतीत होता है और नाबालिग लड़की की सही उम्र तय करने के लिए पर्याप्त प्रमाण प्रस्तुत नहीं किए गए।

मामला भयंदर इलाके का है, जहां पीड़िता की मां की शिकायत पर 19 मई 2020 को युवक को गिरफ्तार किया गया था। एफआईआर में आरोप थे कि आरोपी ने लड़की के साथ यौन उत्पीड़न किया और उसे गाली-गलौज तथा धमकियां दी। युवक पर भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, 20 अगस्त 2020 को उसे जमानत मिल गई थी।

अदालत ने पॉक्सो अधिनियम की धारा 2(घ) का हवाला देते हुए कहा कि नाबालिग की उम्र 18 साल से कम होनी चाहिए, और इसका प्रमाण प्रस्तुत करना अभियोजन पक्ष की जिम्मेदारी है। पीड़िता की जन्मतिथि 24 जून 2003 बताई गई थी और उसकी मां ने जन्म प्रमाण पत्र की फोटोकॉपी जमा करने का दावा किया था, लेकिन मूल दस्तावेज पेश नहीं किए गए। इस कारण, अदालत ने कहा कि पीड़िता की सही उम्र साबित करने वाला कोई ठोस प्रमाण रिकॉर्ड पर नहीं है।

जज ने यह भी बताया कि पीड़िता ने अपने बयानों में माना कि आरोपी के साथ उसका रिश्ता अपनी मर्जी और सहमति से था। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उनकी मां पुलिस के पास नहीं गई होतीं, तो वह स्वयं पुलिस के पास नहीं जातीं। पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि उसका उद्देश्य इस प्रेम संबंध को शादी में बदलना था, जिसके लिए दोनों परिवारों के रिश्तेदारों ने संपर्क भी किया था।

इस फैसले के बाद आरोपी मामले में बरी हो गया, जबकि अदालत ने पीड़िता की उम्र और सहमति संबंधी सबूतों की कमी को मुख्य आधार बनाया।