मुंबई। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों को लेकर मुंबई का राजनीतिक माहौल गर्माता जा रहा है। इसी बीच शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार को स्पष्ट किया कि कांग्रेस चाहे जिस तरह चुनाव लड़े, वह उनका निर्णय है, और उनकी पार्टी भी अपने फैसले खुद तय करेगी। यह बयान ऐसे समय में आया है जब महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) को साथ लेने को लेकर मतभेद उभर रहे हैं।

कांग्रेस के कुछ नेताओं ने हाल ही में राज ठाकरे की पार्टी को गठबंधन में शामिल करने पर आपत्ति जताई थी, जबकि उद्धव और राज ठाकरे के बीच बढ़ती नजदीकियों को लेकर भी चर्चा हो रही है।

चुनावी गणित पर उठाए सवाल
उद्धव ठाकरे ने बिहार चुनाव के नतीजों पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, "समझ में नहीं आता कि सभाओं में लाखों लोग जुटते हैं, लेकिन उम्मीदवार हार जाते हैं। यह कौन-सी नई लोकतंत्र की गणित है?" उन्होंने विशेष रूप से राजद नेता तेजस्वी यादव की भारी भीड़ के बावजूद मिली हार पर भी तंज कसा और पूछा कि क्या यह समर्थन वास्तविक था या कहीं कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से तैयार 'दिखावटी भीड़' थी।

चुनाव आयोग पर निशाना
उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग पर भी तीखा हमला बोला। उनका कहना था कि विपक्ष लगातार मतदाता सूची में अनियमितताओं की शिकायत कर रहा है, मार्च निकाल रहा है, लेकिन चुनाव आयोग इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा, "हम चुनावों का विरोध नहीं करते, चुनाव राजनीति की जान हैं। लेकिन क्या इसे लोकतंत्र कहा जा सकता है अगर प्रक्रिया पारदर्शी न हो?" उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह देश में क्षेत्रीय पार्टियों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, जो लंबे समय तक टिक नहीं पाएगी।

एमवीए में खिंचाव और भविष्य के समीकरण
बीएमसी चुनाव को लेकर उद्धव ठाकरे ने साफ किया कि कांग्रेस स्वतंत्र है और अपनी रणनीति खुद तय करेगी, उसी तरह शिवसेना (यूबीटी) भी स्वतंत्र है। उनके इस बयान से साफ संकेत मिलता है कि एमवीए में गठबंधन के भीतर मतभेद और राजनीतिक समीकरण अब सार्वजनिक हो गए हैं, और आगामी चुनावों में नए राजनीतिक समीकरण देखने को मिल सकते हैं।