पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार रात मीडिया से बातचीत में केंद्र और राज्य सरकार दोनों पर निशाना साधा। उन्होंने भाजपा सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि हालात अजीब हैं। उन्होंने वसुंधरा राजे का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वे मुख्यमंत्री थीं, तब स्थिति थोड़ी अलग थी, लेकिन बाद में संबंध सुधरे। उन्होंने आशंका जताई कि उन्हें अचानक हटाए जाने के पीछे कोई राजनीतिक वजह हो सकती है।

मुख्य सचिव के अचानक दिल्ली भेजे जाने पर उठाए सवाल
गहलोत ने कहा कि मुख्य सचिव सुधांश पंत को अचानक दिल्ली भेज दिया गया है, जिससे यह प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की तरह किसी नए मुख्यमंत्री को भी मुश्किल स्थिति में डाला जा सकता है। उन्होंने सरकार की दिशा और नीतियों को भ्रमित बताया और कहा कि वर्तमान सरकार विपक्ष की भूमिका की अनदेखी कर रही है।

विपक्ष की भूमिका और लोकतंत्र की परिभाषा
पूर्व सीएम ने कहा कि विपक्ष को शामिल किए बिना निर्णय लिए जा रहे हैं और सरकारी धन का उपयोग प्रचार में किया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी सरकार की।

‘वंदे मातरम् का राजनीतिकरण’
गहलोत ने कहा कि वंदे मातरम् कांग्रेस की देन है, जिसे रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार कांग्रेस अधिवेशन में प्रस्तुत किया था। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह इसे अपना बताकर राजनीतिक रंग दे रही है।

दिल्ली ब्लास्ट की जांच और सुरक्षा पर जोर
दिल्ली ब्लास्ट की घटना पर गहलोत ने कहा कि इसकी तह तक जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को संयुक्त कमेटी बनाकर सभी विभागों पर निगरानी रखनी चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत के समय की तुलना
गहलोत ने याद दिलाया कि जब भैरोंसिंह शेखावत मुख्यमंत्री थे और बाद में विपक्ष में आए, तब भी संबंध अच्छे रहे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विपक्ष को नजरअंदाज किया जा रहा है।

सविना खेड़ा अतिक्रमण मामले पर सवाल
उदयपुर में सविना खेड़ा कॉलोनी में अतिक्रमण हटाने पर गहलोत ने कहा कि यदि कॉलोनी अवैध थी, तो प्लॉट आवंटन के समय कार्रवाई क्यों नहीं हुई। बिना नोटिस घर गिराना कानून के खिलाफ है और इससे गरीबों को भारी नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि बुलडोजर राजनीति के लिए नहीं, बल्कि कानून और न्याय के लिए इस्तेमाल होना चाहिए।