राजस्थान में होने वाले पंचायती राज संस्थाओं (PRI) और शहरी स्थानीय निकाय (ULB) के चुनावों में प्रत्याशियों के लिए चुनावी खर्च की सीमा को दोगुना कर दिया गया है। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी कर नई दिशा-निर्देशों की घोषणा की है। साथ ही चुनाव प्रचार के दौरान वाहनों और लाउडस्पीकरों के उपयोग पर कड़ी पाबंदियां लागू की गई हैं।
नए नियमों के तहत, चुनाव प्रचार में बड़े वाहन और पशु-चालित गाड़ियों का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। बस, ट्रक, मिनी बस, मेटाडोर के अलावा तांगा, ऊंटगाड़ी और बैलगाड़ी जैसी पारंपरिक वाहनों पर भी रोक लगेगी। आयोग ने कहा है कि इन नियमों का उल्लंघन करने वाले प्रत्याशियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
खर्च सीमा में बदलाव
सरपंच पद के लिए चुनाव खर्च की सीमा 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है। पंचायत समिति सदस्य के लिए यह सीमा 75 हजार से 1.5 लाख रुपये, जबकि जिला परिषद सदस्य के लिए 1.5 लाख से 3 लाख रुपये कर दी गई है।
शहरी निकाय चुनावों में नगर निगम पार्षदों की खर्च सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये, नगर परिषद पार्षदों के लिए 1.5 लाख से 2 लाख रुपये और नगर पालिका पार्षदों के लिए 1 लाख से 2 लाख रुपये तय की गई है।
रिपोर्टिंग और वाहनों पर नियंत्रण
प्रत्याशियों को निर्धारित सीमा से अधिक खर्च करने की अनुमति नहीं होगी। चुनाव खत्म होने के 15 दिन के भीतर उन्हें अपने खर्च का पूरा विवरण जिला निर्वाचन अधिकारी को सौंपना होगा। इसके अलावा, वाहनों की संख्या भी सीमित कर दी गई है।
जिला परिषद और नगर निगम के प्रत्याशी अधिकतम तीन वाहन, पंचायत समिति और नगर परिषद प्रत्याशी दो वाहन, जबकि सरपंच और नगर पालिका प्रत्याशी केवल एक वाहन का इस्तेमाल कर सकेंगे। सभी वाहनों की जानकारी पहले रिटर्निंग ऑफिसर को देनी होगी।
लाउडस्पीकर और रैलियों पर नियम
चुनावी कार्यालयों में लाउडस्पीकर का उपयोग प्रतिबंधित रहेगा। अस्पताल, स्कूल और धार्मिक स्थलों के 100 मीटर के भीतर लाउडस्पीकर पूरी तरह से निषिद्ध होगा। लाउडस्पीकर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक ही इस्तेमाल किए जा सकते हैं और इसके लिए मजिस्ट्रेट की अनुमति लेना अनिवार्य होगा। चुनावी रैलियों के आयोजन के लिए भी पूर्व अनुमति लेना जरूरी है।