समाजवादी पार्टी (सपा) ने चुनाव आयोग को ज्ञापन भेजकर बुर्का पहनकर मतदान करने वाली महिलाओं की पहचान आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से कराने के आदेश को चुनौती दी है। सपा का कहना है कि इस निर्देश को लागू करना अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
ज्ञापन में कहा गया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार द्वारा जारी यह नया निर्देश भारत निर्वाचन आयोग के नियमों के विपरीत है। इसमें मतदान के दिन मतदाता पहचान पत्र (वीपीआई) की जांच के लिए मतदान अधिकारियों को अधिकार दिया गया है, जबकि आयोग के मौजूदा नियमों में इस प्रकार का निर्देश नहीं है। सपा ने यह भी कहा कि इससे देश में एक विशेष संप्रदाय के मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा है, जो निर्वाचन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है।
ज्ञापन देने वालों में सपा के प्रदेश सचिव केके श्रीवास्तव, वरिष्ठ नेता डॉ. हरिश्चंद्र सिंह और राधेश्याम शामिल थे।
बिहार चुनाव में उठी थी यह चुनौती
यह मामला बिहार विधानसभा चुनाव से जुड़ा हुआ है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने मतदान केंद्रों पर बुर्का और घूंघट वाली महिलाओं की पहचान के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का उपयोग करने का निर्देश दिया था। पहली बार, बिहार के 243 निर्वाचन क्षेत्रों में प्रत्येक के लिए सामान्य पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाएगा, जो आयोग की नजर और कान की तरह कार्य करेंगे।
सपा ने इस निर्देश पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन भी करता है।