लखनऊ/मुजफ्फरनगर – राज्य कर विभाग की जीएसटी चोरी की बड़ी जांच में सोमवार को एक और बड़ा खुलासा हुआ। विभाग ने 22 नई फर्जी फर्मों का पता लगाया है, जिनके जरिए करीब 149 करोड़ रुपये के लेनदेन पर 61 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी की गई। यह फर्में आरोपी सौरभ मिश्रा के ईमेल खातों की जांच के दौरान सामने आईं।

अब तक पकड़ी गई फर्जी फर्मों की संख्या 144 तक पहुंच गई है और टैक्स चोरी का कुल आंकड़ा 400 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। जांच में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की कई नई परतें खुलती जा रही हैं।

अपर आयुक्त (ग्रेड-1) अशोक कुमार सिंह के नेतृत्व में टीम ने सोमवार को लखनऊ के आरोपी अंकित कुमार और मुजफ्फरनगर के सौरभ मिश्रा के ईमेल व डिजिटल डेटा की गहन जांच की। इसमें दिल्ली, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल में पंजीकृत 22 नई फर्जी फर्मों का खुलासा हुआ।

अब कुल टर्नओवर का अनुमान 1,960 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जबकि पहले यह 1,811 करोड़ रुपये था। जांच एजेंसियों को संदेह है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।

अधिकारियों के अनुसार, आरोपियों ने सीजीएसटी के सरल पंजीकरण नियमों का दुरुपयोग कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कंपनियां रजिस्टर कराईं। बाद में फर्जी ई-वे बिल और इनवॉयस के जरिये करोड़ों रुपये का टैक्स घोटाला किया गया।

विभाग ने इस केस की गंभीरता को देखते हुए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम को जांच में शामिल किया है। प्रमुख सचिव स्तर से प्रतिदिन प्रगति रिपोर्ट मांगी जा रही है।

मामला कैसे शुरू हुआ

24 और 25 अक्तूबर को राज्य कर विभाग ने लखनऊ-मुरादाबाद हाईवे पर लोहे से लदे दो ट्रक पकड़े थे। जांच में यह माल लखनऊ निवासी अंकित कुमार का निकला, जिसे मुजफ्फरनगर भेजा जा रहा था।
इसके बाद 42 अधिकारियों की टीम ने जब जांच की, तो पता चला कि अंकित ने देशभर में 122 फर्जी फर्मों का पंजीकरण करा रखा है। शुरुआती जांच में ही 341 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी सामने आई थी, जिसके बाद दो एफआईआर दर्ज कराई गईं।

पुलिस और एसआईटी की जांच

अब मामला एसआईटी के पास है। एसपी क्राइम सुरेश चंद्र गंगवार ने बताया कि आरोपियों अंकित कुमार और सौरभ मिश्रा के ईमेल, आईपी एड्रेस और अन्य डिजिटल साक्ष्य राज्य कर विभाग से प्राप्त हुए हैं। पुलिस इन तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर गिरोह की गतिविधियों का पता लगा रही है।
जांच में सामने आया है कि दोनों आरोपियों ने फर्जी पते और पहचान पत्रों का इस्तेमाल किया था। पुलिस अब उनके सहयोगियों और नेटवर्क की भी छानबीन कर रही है।

राज्य कर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा — “फर्जी फर्मों के नेटवर्क की जड़ें कई राज्यों में फैली हैं। हर स्तर पर सख्त जांच की जा रही है ताकि दोषियों को जल्द कानून के दायरे में लाया जा सके।”