कानपुर के सीसामऊ से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी 33 महीनों की जेल की सजा पूरी करने के बाद हाल ही में जमानत पर रिहा हुए। बृहस्पतिवार देर रात वे देवा स्थित हाजी वारिस अली शाह दरगाह पहुंचे और यहां जियारत की। खास बात यह रही कि उनका आगमन पूरी तरह गुप्त रखा गया और स्थानीय सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को इसकी भनक तक नहीं लगी।

सोलंकी अपने परिवार के साथ दरगाह पहुंचे। परिवार ने बताया कि रिहाई के बाद सबसे पहले देवा शरीफ में चादर चढ़ाना उनका प्राथमिक उद्देश्य था। पुलिस को भी उनके आगमन की सूचना सुबह तक नहीं मिली।

इरफान सोलंकी पर आगजनी, जमीन कब्जाने, रंगदारी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने जैसे गंभीर आरोप दर्ज थे। इनमें अधिकांश मामलों में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी थी, लेकिन गैंगस्टर एक्ट से जुड़े मामलों के चलते उनकी रिहाई लंबित रही। मंगलवार को जेल से रिहा होने के बाद यह उनका पहला सार्वजनिक कार्यक्रम माना जा रहा है।

राजनीतिक गलियारों में उनकी रिहाई और देवा शरीफ की जियारत को लेकर चर्चा तेज है। देवा शरीफ में जेल से रिहा होने के बाद चादर चढ़ाने की परंपरा पहले भी देखी जा चुकी है। बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त की रिहाई के बाद उनके पिता सुनील दत्त भी इसी दरगाह में चादर चढ़ा चुके हैं।