लखनऊ। सामूहिक दुष्कर्म के मामले में आरोपी का नाम हटाने के एवज में रिश्वत मांगने वाले एक दरोगा को एंटी करप्शन की टीम ने रंगेहाथ पकड़ लिया। आरोपी दरोगा धनंजय सिंह, जो फिलहाल महानगर थाने की पेपर मिल चौकी पर तैनात था, को बुधवार रात टीम ने चौकी परिसर से ही गिरफ्तार कर लिया।

जानकारी के मुताबिक, आजमगढ़ के मेहनाजपुर निवासी दरोगा धनंजय सिंह पर आरोप है कि उसने एक हाई-प्रोफाइल दुष्कर्म केस में मुख्य आरोपी प्रतीक गुप्ता से नाम निकालने के बदले दो लाख रुपये की मांग की थी। प्रतीक गुप्ता ने इस रिश्वत की शिकायत एंटी करप्शन विभाग में की थी। शिकायत की पुष्टि के लिए गठित टीम ने जाल बिछाया और प्रतीक को पैसे लेकर दरोगा के पास भेजा।

जैसे ही दरोगा ने रुपये अपने हाथ में लिए, टीम ने दबिश देकर उसे रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद दरोगा को लेकर जाते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे।

कौन है मामला दर्ज कराने वाला प्रतीक गुप्ता

यह पूरा मामला आलमबाग स्थित ब्रिटिश स्कूल ऑफ लैंग्वेज के संचालक प्रतीक गुप्ता और उसके सहयोगी रियाज से जुड़ा है। दोनों पर उनकी पूर्व पर्सनल सेक्रेटरी ने नशीला पदार्थ पिलाकर सामूहिक दुष्कर्म करने और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था। पीड़िता ने शिकायत में कहा कि घटना के बाद आरोपी लगातार धमकी दे रहे थे कि अगर उसने कुछ कहा तो वीडियो वायरल कर दिया जाएगा।

लंबे समय तक खामोश रहने के बाद युवती ने एक वर्ष बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद मुख्य आरोपी प्रतीक गुप्ता को झांसी से गिरफ्तार किया गया। इसी केस में दरोगा धनंजय आरोपी से पैसे लेकर नाम हटाने की कोशिश कर रहा था।

दरोगा पर केस दर्ज

एंटी करप्शन टीम की कार्रवाई के बाद आरोपी दरोगा के खिलाफ अलीगंज थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। अधिकारियों ने बताया कि मामले की आगे जांच की जा रही है।

प्रतीक गुप्ता मूल रूप से कानपुर के फजलगंज स्थित श्याम भवन का निवासी है और वर्तमान में लखनऊ के निशातगंज के साईं धाम अपार्टमेंट में रहता है।