झांसी/महोबा। उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जांच के दौरान बुंदेलखंड क्षेत्र में गंभीर अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। झांसी जिले के नया गांव में एक ही खाता संख्या की दो अलग-अलग खतौनियां मिलने से हड़कंप मच गया। जांच में सामने आया कि खाता संख्या 476 से जुड़ी एक खतौनी में भूमि फूड कॉरपोरेशन के नाम दर्ज है, जबकि दूसरी में वही जमीन रेलवे लाइन के रूप में दर्ज पाई गई। इसके बावजूद शिवानी पाल पुत्री बृजभान पाल ने इस भूमि पर करीब 1.50 लाख रुपये का फसल बीमा करा लिया।
जांच एजेंसियों के मुताबिक यह मामला अकेला नहीं है। झांसी के बाजना और डंगरवाहा गांवों में भी सरकारी भूमि या दूसरों की जमीन पर अलग-अलग लोगों द्वारा फर्जी तरीके से बीमा करा कर मुआवजे की रकम हड़पने के मामले सामने आए हैं।
महोबा में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी
महोबा जिले के लुहारी गांव में गाटा संख्या 908 भोला प्रसाद के नाम दर्ज है, जबकि गाटा संख्या 272 नाले के रूप में दर्ज है। जांच में पता चला कि इन दोनों जमीनों पर अनूप कुमार के नाम से फसल बीमा कराया गया। इसी तरह ग्राम खेवरइया में 125 किसानों के नाम पर करीब 40 लाख रुपये और सिजवाहा में 95 किसानों के नाम पर लगभग 24 लाख रुपये का क्लेम लिया गया। हैरानी की बात यह है कि इन दावों से जुड़े लोग लगभग 350 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के सागर जिले के निवासी हैं।
फर्जीवाड़े में 19 आरोपी जेल भेजे गए
प्राथमिक जांच में सामने आया है कि बंजर भूमि, नाले की जमीन और असली किसानों की जानकारी के बिना फर्जी बटाईदार दिखाकर बीमा क्लेम लिया गया। किसानों के विरोध और आंदोलन के बाद 26 नामजद और कई अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया, जिनमें से 19 आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है। इनमें कॉमन सर्विस सेंटर संचालक, दलाल और बीमा राशि प्राप्त करने वाले लोग शामिल हैं, जो बांदा सहित अन्य जिलों के रहने वाले बताए जा रहे हैं।
प्रदेशव्यापी जांच की मांग
किसान नेता गुलाब सिंह ने पूरे प्रदेश में फसल बीमा योजना की विस्तृत जांच कराने की मांग की है। उनका कहना है कि बुंदेलखंड में जिन बीमा कंपनियों के जरिए यह गड़बड़ी सामने आई है, वही कंपनियां अन्य जिलों में भी कार्यरत हैं। इसके बावजूद महोबा के अलावा अन्य जिलों में जांच न शुरू होना विभागीय लापरवाही की ओर इशारा करता है।
योजना के आंकड़े
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत वर्ष 2023-24 में 30.40 लाख किसानों का बीमा हुआ, जिसमें 15,925.35 करोड़ रुपये की बीमित राशि के मुकाबले 429.86 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित किया गया। वर्ष 2024-25 में 31.27 लाख किसानों के लिए 14,902.43 करोड़ रुपये बीमित रहे और 408.41 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति दी गई। वहीं 2025-26 में अब तक 24.46 लाख किसानों की 10,136.84 करोड़ रुपये की बीमित राशि के सापेक्ष 142.02 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ है। (बीमित राशि व क्षतिपूर्ति करोड़ रुपये में, 2025-26 का रबी सीजन अभी जारी है।)
क्या कहते हैं अधिकारी
कृषि निदेशक डॉ. पंकज त्रिपाठी ने बताया कि बुंदेलखंड के सभी जिलों के अधिकारियों को सतर्क कर दिया गया है और हर शिकायत की गंभीरता से जांच की जा रही है। जिलाधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों, इसके लिए सांख्यिकी विभाग को भी अलर्ट किया गया है।