ओखला और ताजेवाला बैराज से अधिक पानी छोड़े जाने के कारण यमुना उफान पर है। वृंदावन, नौहझील, मांट, शेरगढ़ और मथुरा के कई इलाकों में पानी भर गया है, जिससे आवागमन बाधित हो गया है। जयसिंहपुरा और यमुना खादर में लगभग 200 से अधिक लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। कई मठ-मंदिरों तक पानी पहुंच गया है और सड़कें तालाब जैसी हो गई हैं। नौहझील क्षेत्र में स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है।
यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। बीते 24 घंटों में यह 165.79 मीटर से बढ़कर 165.87 मीटर तक पहुंच गया है, जो खतरे के निशान 166 मीटर से केवल 13 सेंटीमीटर कम है। खतरे का स्तर पार होने पर यमुना के किनारे बसे इलाकों में जलभराव और बढ़ जाएगा।
हालांकि अधिकारी जलस्तर घटने का दावा कर रहे हैं, लेकिन हथिनीकुंड और ओखला बैराज से लगातार बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है। सिंचाई विभाग के अपर खंड एक्सईएन नवीन कुमार के अनुसार, मंगलवार को हथिनीकुंड से 39,045 क्यूसेक और ओखला बैराज से 89,223 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। गोकुल बैराज से प्रतिदिन लगभग 82,000 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हो रहा है।
वृंदावन के परिक्रमा मार्ग, नौहझील के दर्जनों गांव, बलदेव, शेरगढ़, जयसिंहपुरा और यमुना खादर की कई कॉलोनियों में सड़कें जलमग्न हैं। जयसिंहपुरा क्षेत्र के पार्षद राकेश भाटिया ने बताया कि यमुना के पानी के कारण करीब 200 से अधिक परिवार अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। मांट के मानसरोवर स्थित राधारानी मंदिर तक भी पानी पहुंच चुका है।
जिलाधिकारी चंद्रप्रकाश ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने राहत और बचाव की पूरी तैयारी कर रखी है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्टीमर और राहत सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। डीएम ने लोगों से नदी के पास न जाने और सतर्क रहने की अपील की है।
जलभराव से धान, बाजरा, ज्वार, तिलहन और अन्य फसलें प्रभावित हुई हैं। जिला कृषि अधिकारी आवेश कुमार सिंह ने बताया कि नौहझील, मांट और छाता ब्लॉकों में फसलों के नुकसान का सर्वे शुरू कर दिया गया है। तीन सदस्यीय टीम क्षेत्र में जाकर प्रभावित फसलों का आंकलन करेगी और किसानों को उचित मुआवजा दिया जाएगा।