नेम प्लेट विवाद: ओवैसी और एसटी हसन ने साधा निशाना, साध्वी प्राची ने किया पलटवार

मुजफ्फरनगर। उत्तर भारत की प्रमुख धार्मिक यात्रा, कांवड़ यात्रा को लेकर दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग-58 पर ढाबों के नामों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। योग साधना यशवीर आश्रम के महंत स्वामी यशवीर महाराज ने ढाबों पर नामपट्ट (नेम प्लेट) लगाने की मुहिम शुरू की है, जिससे कई सवाल उठने लगे हैं।

विवाद तब शुरू हुआ जब स्वामी यशवीर की टीम ने “पंडित जी वैष्णो ढाबा” पर पहुंचकर आपत्ति जताई। टीम का आरोप था कि वहां कार्यरत अधिकांश कर्मचारी मुस्लिम समुदाय से हैं, लेकिन खुद को हिंदू दर्शा रहे हैं। कथित रूप से, एक कर्मचारी की पहचान की पुष्टि करने के लिए उसकी पैंट उतारने का प्रयास भी किया गया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।

घटना पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गईं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद डॉ. एस.टी. हसन ने इस कार्रवाई की आलोचना करते हुए इसकी तुलना कश्मीर के पहलगाम जैसी घटनाओं से की।

दूसरी ओर, विश्व हिंदू परिषद की नेता साध्वी प्राची स्वामी यशवीर के समर्थन में सामने आईं। उन्होंने कहा कि सभी ढाबों पर मालिक और कर्मचारियों की पहचान स्पष्ट होनी चाहिए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर किसी को हिंदू देवी-देवताओं के नाम पसंद हैं, तो वे खुलकर सनातन धर्म को स्वीकार क्यों नहीं कर लेते।

साध्वी प्राची ने ओवैसी और डॉ. हसन पर निशाना साधते हुए कहा कि शिवभक्त कांवड़िए श्रद्धा के साथ गंगाजल लेकर आते हैं, और कुछ लोग अपनी संकीर्ण सोच से समाज को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि फर्जी नामों से होटल और ढाबा चलाना निंदनीय है और इसकी जांच होनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने यह मांग भी की कि ओवैसी और हसन की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि पहले भी नाम पूछकर गांवों में हिंसा हुई थी, जिसमें हिंदू भाइयों की हत्या और महिलाओं के सिंदूर उजड़ने जैसे दर्दनाक घटनाएं हुई थीं। उन्होंने कहा कि इसका जवाब अब “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे सख्त कदमों से दिया जा रहा है।

गौरतलब है कि कांवड़ यात्रा अनौपचारिक रूप से शुरू हो चुकी है, जबकि औपचारिक रूप से यह यात्रा श्रावण मास की शुरुआत के साथ 11 जुलाई से आरंभ होगी। यात्रा का मार्ग हरिद्वार से शुरू होकर मुजफ्फरनगर, मेरठ और दिल्ली से होकर गुजरता है।

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