शाहजहांपुर की पुष्पा देवी ने पति की मृत्यु के बाद विपरीत परिस्थितियों में हार मानने की बजाय हिम्मत दिखाई और न केवल परिवार की जिम्मेदारियां संभालीं, बल्कि कर्ज चुकाकर आत्मनिर्भरता की मिसाल भी पेश की। उन्होंने खेती के साथ-साथ वॉशिंग पाउडर बनाकर बाजार में बेचना शुरू किया और परिवार के भरण-पोषण का जरिया खड़ा किया।
रोजा क्षेत्र के छीतेपुर गांव की रहने वाली पुष्पा देवी के पति धनीराम मजदूरी करते थे और उन्होंने दो बैंकों से ऋण ले रखा था, जिसकी जानकारी परिवार को बाद में हुई। धनीराम के निधन के बाद पुष्पा देवी के सामने बच्चों की परवरिश और कर्ज चुकाने की दोहरी चुनौती आ खड़ी हुई। बड़ी बेटी पूजा की शादी की चिंता और बैंकों के बार-बार कर्ज वापसी के दबाव के बीच पुष्पा ने खेती की बागडोर खुद संभाली।
उन्होंने परंपरागत खेती की जगह सब्जी उत्पादन शुरू किया और नियामतपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से वॉशिंग पाउडर बनाने का प्रशिक्षण लेकर घरेलू उद्योग भी शुरू किया।
स्थानीय बाजार और मेलों में करती हैं बिक्री
पुष्पा देवी प्रतिदिन 50 से 60 किलो वॉशिंग पाउडर बनाकर आस-पास के गांवों की बाजारों में बेचती हैं। विनोबा सेवा आश्रम के सहयोग से वह मेलों और प्रदर्शनियों में स्टॉल लगाकर भी उत्पाद बेचती हैं। उनकी मेहनत का नतीजा है कि उन्होंने एक बैंक से लिया गया ₹70,000 का कर्ज चुका दिया है और अब दूसरे बैंक के ऋण को निपटाने की कोशिश में जुटी हैं।
बेटे-बेटी बनें हमसफर
पुष्पा देवी की बड़ी बेटी पूजा का विवाह हो चुका है और अब परिवार के अन्य सदस्य भी उनके कार्यों में सहयोग कर रहे हैं। वह कहती हैं कि विनोबा सेवा आश्रम का मार्गदर्शन उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
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