उत्तर प्रदेश में विशेष प्रगाढ़ पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) की प्रक्रिया मंगलवार से शुरू हो रही है। इस अभियान के तहत बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) राज्यभर में 4 नवंबर से 4 दिसंबर के बीच लगभग 15.44 करोड़ मतदाताओं के घर-घर जाकर विवरणों का सत्यापन करेंगे।

बीएलओ मतदाताओं को दो प्रतियों में गणना प्रपत्र (Enumeration Form) देंगे, जिनमें से एक प्रति मतदाता द्वारा हस्ताक्षरित कर अपने पास रखेंगे। अधिकारी प्रत्येक मतदाता के घर कम से कम तीन बार जाकर यह फॉर्म वितरित करने और संग्रह करने का कार्य करेंगे।

मतदाता सूची का सत्यापन ऐसे होगा

गणना प्रपत्र में मतदाता का नाम, एपिक संख्या, भाग संख्या, क्रम संख्या, विधानसभा क्षेत्र का नाम और राज्य संबंधी प्रविष्टियां पहले से भरी होंगी। साथ ही, मतदाताओं की फोटो भी प्रिंट की जाएगी। हालांकि मतदाता चाहें तो अपने नवीनतम पासपोर्ट साइज फोटो भी प्रपत्र पर चस्पा कर सकते हैं।

बीएलओ जरूरत पड़ने पर मतदाताओं की मदद करेंगे ताकि जानकारी सही और पूर्ण भरी जा सके। कोई दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। जो मतदाता फॉर्म भरकर समय पर लौटाएंगे, उनके नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल किए जाएंगे।

पोर्टल से देखें नाम

मतदाता voters.eci.gov.in पोर्टल पर वर्ष 2003 की मतदाता सूची में अपना या परिजनों का नाम देख सकते हैं। यह जानकारी भी गणना प्रपत्र में शामिल की जा सकती है।

आगे की प्रक्रिया और समय-सारणी

राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों की प्रारूप मतदाता सूची 9 दिसंबर को प्रकाशित की जाएगी।

  • दावे और आपत्तियां दर्ज कराने की अवधि: 9 दिसंबर से 8 जनवरी तक।

  • सुनवाई व सत्यापन: 9 दिसंबर से 31 जनवरी तक।

  • अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन: 7 फरवरी 2026 को होगा।

किसी मतदाता को निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी के निर्णय से असंतोष होने पर प्रथम अपील जिला मजिस्ट्रेट के पास और द्वितीय अपील मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास की जा सकेगी।

जिनका नाम 2003 की सूची में नहीं, उन्हें मिलेगा नोटिस

चुनाव आयोग के अनुसार, जिन मतदाताओं के नाम वर्ष 2003 की मतदाता सूची में दर्ज नहीं हैं, उन्हें सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। जबकि जिनके नाम 2003 की सूची में पहले से मौजूद हैं, उनका सत्यापन उपलब्ध विवरणों के आधार पर स्वतः हो जाएगा। अनुमान है कि ऐसे मतदाता करीब 70 प्रतिशत होंगे।

इन दस्तावेजों से होगा सत्यापन

सुनवाई के दौरान पहचान और पते के प्रमाण के रूप में निम्न दस्तावेज मान्य होंगे —
सरकारी पहचान पत्र, पेंशन भुगतान आदेश, पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र, शैक्षणिक प्रमाणपत्र, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, वन अधिकार प्रमाणपत्र, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, परिवार रजिस्टर, सरकारी भूमि या मकान आवंटन प्रमाणपत्र और आधार कार्ड