आजम खां पर दर्ज हुए केस में अब दोबारा होगी विवेचना, फैक्ट्री पर बुलडोजर चलवाने का आरोप

रामपुर। सपा शासन में 18 साल पहले एक पापड़ फैक्टरी पर बुलडोजर चलवाने और रंगदारी मांगने के आरोप में सीतापुर जेल में बंद सपा नेता आजम खां घिर गए हैं। इस मामले में पुलिस द्वारा दाखिल फाइनल रिपोर्ट को कोर्ट ने खारिज करते हुए इस प्रकरण की दोबारा विवेचना के आदेश दिए हैं।

रामपुर के मोहल्ला सराय सहादत यार खां निवासी अफसर खां पुत्र अशरफ खां, जुल्फेकार खां और अनवर खां ने दस जुलाई 2007 को बसपा सरकार आने के बाद एसपी को पत्र देकर आरोप लगाया था कि यह मामला वर्ष 2006 का है। उस वक्त सपा नेता आजम खां नगर विकास मंत्री हुआ करते थे।

आरोप है कि 19 जुलाई 2006 को सपा नेता के आदेश पर प्रशासनिक अधिकारियों ने उनकी सैंजनी नानकार स्थित पापड़ फैक्टरी, सेलर और आटा चक्की पर आए और जबर्दस्ती बुलडोजर चला दिया और फैक्टरी को ध्वस्त कर दिया। उनका आरोप है कि उनसे सपा नेता ने पांच लाख रुपये का चंदा मांगा।

चंदा न देने पर यह कार्रवाई की गई थी। इस मामले में एसपी के आदेश पर सपा नेता आजम खां के खिलाफ गंज थाने में दस जुलाई 2007 को रंगदारी मांगने, धमकाने, मारपीट और तोड़फोड़ कर समान नष्ट करने का मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने इस मामले की विवेचना के बाद फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की और कोर्ट ने वादी को नोटिस जारी किए।

इसके बाद पीड़ित जुल्फेकार खां ने अपने अधिवक्ता अवधेश अग्रवाल के माध्यम से पुलिस की अंतिम रिपोर्ट पर आपत्ति दाखिल की। साथ ही पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए। अधिवक्ता की दलील सुनने के बाद एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट ट्रायल कोर्ट ने पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को खारिज करते हुए दुबारा विवेचना के आदेश दिए हैं। बताते चलें कि सपा नेता इस वक्त सीतापुर जेल में अपने बेटे अब्दुल्ला आजम खां के दो जन्म प्रमाण पत्र के मामले में सजा काट रहे हैं।

डूंगरपुर मामले में संभल के सर्विलांस प्रभारी ने दी गवाही

सपा नेता आजम खां के खिलाफ दर्ज डूंगरपुर बस्ती को खाली करने के मामले में विवेचक एवं संभल के सर्विलांस प्रभारी इंस्पेक्टर रामवीर सिंह यादव ने कोर्ट में पेश होकर गवाही दी। उनकी गवाही पूरी नहीं हो पाई है। अब इस मामले की सुनवाई 19 फरवरी को होगी।

यहां बताते चलें कि गंज थाने में डूंगरपुर बस्ती को खाली कराने का मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में सपा नेता आजम खां को भी आरोपी बनाया गया था। यह मामला एमपी-एमएलए कोर्ट में विचाराधीन है।

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