सहारा इंडिया परिवार के पूर्व उप निदेशक ओपी श्रीवास्तव की गिरफ्तारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जांच की गति तेज कर दी है। एजेंसी ने श्रीवास्तव के साथ ही एक दर्जन से अधिक पूर्व और वर्तमान निदेशकों की चल-अचल संपत्तियों का पता लगाना शुरू कर दिया है। निवेशकों की जमापूंजी हड़पने के आरोप में इन संपत्तियों को जल्द ही जब्त किया जा सकता है।

सूत्रों के मुताबिक, ईडी कोलकाता की इन्वेस्टिगेशन विंग सहारा समूह की उन कंपनियों के निदेशकों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रही है, जिन्होंने पोंजी स्कीम के जरिए निवेशकों से रकम जमा की। जांच के दायरे में प्रमुख कंपनियों में सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारयन मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी, स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी, सहारा इंडिया कॉमर्शियल कॉरपोरेशन लिमिटेड, सहारा इंडिया रियल एस्टेट कारपोरेशन लिमिटेड, सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन और अन्य दर्जनों कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों के निदेशक समय-समय पर बदलते रहे हैं।

इस साल अप्रैल में ईडी ने देशभर के 16 शहरों में इन कंपनियों की कुल 1073 एकड़ भूमि, जिसकी कीमत लगभग 1538 करोड़ रुपये बताई गई थी, पहले ही जब्त कर ली थी। लखनऊ, मुरादाबाद और ललितपुर की जमीनें भी इसमें शामिल थीं। लखनऊ में घैला तहसील के अलू नगर डिगुरिया और बक्शी का तालाब तहसील के नरहरपुर गांव में 107 एकड़ भूमि जब्त की गई। जांच में पता चला कि इन जमीनों पर बिना अनुमति निर्माण कार्य हो रहा था, जिसके बाद संबंधित उप निबंधक कार्यालयों को रोक लगाने के लिए पत्र भेजा गया।

ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि निवेशकों की रकम को अन्य कंपनियों में ट्रांसफर कर निदेशकों ने अपने नाम पर बेनामी संपत्तियां खरीदीं। अब ईडी इन संपत्तियों को जब्त करने के साथ-साथ बेनामी संपत्ति निषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई करेगी।