नई दिल्ली। भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग 2025 में रिकॉर्ड प्रदर्शन के बाद 2026 में प्रवेश कर रहा है। हालांकि यह साल केवल वृद्धि बनाए रखने का नहीं, बल्कि उद्योग के लिए भविष्य की तैयारी का भी महत्वपूर्ण दौर होगा। शुरुआती अनुमानों के अनुसार, 2026 में ऑटो सेक्टर की ग्रोथ 6 से 8 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है, जिसे नीतिगत समर्थन और उपभोक्ता मांग मजबूती प्रदान करेंगे।

मांग में स्थिरता और नीति का योगदान
2025 में धीमी शुरुआत के बाद पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट ने मजबूत वापसी की। शहरी इलाकों में मांग, ग्रामीण आय में स्थिरता और फाइनेंस की बेहतर उपलब्धता ने बिक्री को सहारा दिया। सरकार की ओर से जीएसटी में सुधार, ब्याज दरों में नरमी और इनकम टैक्स राहत जैसी पहलें वाहन की अफॉर्डेबिलिटी बढ़ाने में मददगार साबित हुईं। 2026 में भी इन कारकों के चलते उपभोक्ता मांग बनी रहने की संभावना है।

एसयूवी, सीएनजी और ईवी की बढ़ती हिस्सेदारी
बीते साल की तरह 2026 में भी एसयूवी सेगमेंट का दबदबा रहने की उम्मीद है। साथ ही, सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी में धीरे-धीरे वृद्धि होगी। ग्राहक नई तकनीक को चरणबद्ध तरीके से अपनाते दिख रहे हैं, जिससे भारतीय बाजार संतुलित ट्रांजिशन के दौर में है।

2027 के नियमों से पहले तैयारी का साल
2026 को उद्योग एक ट्रांजिशन ईयर के रूप में देख रहा है। 2027 से लागू होने वाले कड़े CAFE मानदंड और उत्सर्जन नियम कंपनियों के लिए लागत बढ़ाने वाले साबित हो सकते हैं। टू-व्हीलर सेगमेंट में एबीएस और सीबीएस जैसे अनिवार्य सेफ्टी फीचर्स भी कीमत संवेदनशील ग्राहकों पर असर डाल सकते हैं।

सप्लाई चेन और लागत का दबाव
लोकलाइजेशन में सुधार के बावजूद वैश्विक अनिश्चितता, टैरिफ और रुपये की कमजोरी सप्लाई चेन में चुनौती बनी हुई है। खासतौर पर प्रीमियम और कंपोनेंट-इंटेंसिव वाहनों में लागत नियंत्रण और समय पर सप्लाई बनाए रखना अहम रहेगा।

निवेश की दोहरी रणनीति
ऑटो कंपनियां एक ओर इलेक्ट्रिफिकेशन, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और नए प्लेटफॉर्म में निवेश बढ़ा रही हैं, वहीं पारंपरिक पावरट्रेन की क्षमता भी मजबूत कर रही हैं। यह दर्शाता है कि बाजार पूरी तरह से किसी एक दिशा में नहीं गया है, बल्कि धीरे-धीरे बदलाव की ओर बढ़ रहा है।

उद्योग जगत की राय: सतर्क आशावाद
मारुति सुजुकी के एमडी हिसाशी ताकेउची का मानना है कि जीएसटी सुधारों का असर दिखेगा और उद्योग 7-8 प्रतिशत की ग्रोथ हासिल कर सकता है। डीलर्स संगठन फाडा के अनुसार, ग्रामीण मांग और शादी के सीजन का असर 2026 की शुरुआत तक बना रहेगा। SIAM और ACMA जैसे संगठन भी मानते हैं कि घरेलू मांग और लोकल मैन्युफैक्चरिंग से ग्रोथ को समर्थन मिलेगा।

संतुलित लेकिन चुनौतीपूर्ण साल
कुल मिलाकर 2026 भारतीय ऑटो इंडस्ट्री के लिए उम्मीदों से भरा, लेकिन संतुलन बनाए रखने वाला साल होगा। मांग और नीति समर्थन से मजबूती तो मिलेगी, लेकिन बढ़ती लागत, नियमों की तैयारी और उपभोक्ताओं की कीमत-संवेदनशीलता उद्योग की दिशा तय करेगी। यह साल भारत की ऑटो इंडस्ट्री के आने वाले दशक के लिए नींव तय करने वाला साबित होगा।