लखनऊ। कांग्रेस नेता राहुल गांधी मंगलवार को लखनऊ की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश हुए। यह पेशी 2022 में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान दिए गए एक बयान से जुड़ी मानहानि की शिकायत पर हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने राहुल गांधी को हिरासत में लेने का निर्देश तो दिया, लेकिन ज़मानत अर्जी स्वीकार होने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।
कोर्ट में पेशी की तस्वीरों से मचा सोशल मीडिया पर हंगामा
राहुल गांधी की पेशी के दौरान कोर्ट रूम में वकीलों की भारी भीड़ उमड़ी। कुछ वकीलों ने मोबाइल से तस्वीरें और वीडियो भी बनाए, जो बाद में सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल होने लगे। एक तस्वीर विशेष रूप से सुर्खियों में रही, जिसमें दावा किया गया कि अदालत के जज ने खुद राहुल गांधी के साथ सेल्फी ली।
फैक्ट चेक में निकली नई हकीकत
इस दावे की सच्चाई जानने के लिए जब पड़ताल की गई, तो सामने आया कि जो व्यक्ति तस्वीर में राहुल गांधी के साथ नजर आ रहा है, वह कोई जज नहीं बल्कि वकील हैं। उस समय सुनवाई कर रहे जज आलोक वर्मा थे। तस्वीर में दिख रहे व्यक्ति काले कोट और सफेद नेकबैंड में जरूर हैं, लेकिन यह वेशभूषा अधिवक्ताओं की होती है, न कि न्यायाधीशों की।
सेल्फी लेने वाले वकील का नाम आया सामने
जांच के बाद यह स्पष्ट हुआ कि तस्वीर में राहुल के साथ सेल्फी लेने वाले व्यक्ति का नाम सैयद महमूद हसन है, जो बाराबंकी निवासी हैं और 2006 से लखनऊ में वकालत कर रहे हैं। उन्होंने दो बार बार एसोसिएशन का चुनाव भी लड़ा है। हसन ने बताया कि वह राहुल गांधी को पसंद करते हैं, इसलिए मौके का लाभ उठाकर उन्होंने भी सेल्फी ले ली।
जब उनसे कोर्टरूम में सेल्फी लेने की वैधता पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि “उस वक्त कई वकील फोटो ले रहे थे, मैंने भी ले ली। यह सही था या गलत, यह मैं नहीं कह सकता।”
क्या था मामला?
राहुल गांधी को यह नोटिस सीमा सड़क संगठन के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव की शिकायत पर जारी हुआ था। शिकायतकर्ता के अनुसार, राहुल गांधी ने 16 दिसंबर 2022 को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश सीमा पर हुई भारत-चीन झड़प का जिक्र करते हुए भारतीय सेना पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिससे उनकी भावनाएं आहत हुईं।