जालंधर। दुनिया के सबसे बुजुर्ग मैराथन धावक और ‘सिख सुपरमैन’ के नाम से मशहूर फौजा सिंह का सोमवार को सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। हादसा उस वक्त हुआ जब वे अपने घर के बाहर टहल रहे थे। इसी दौरान एक तेज़ रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी और मौके से फरार हो गई।
परिजन उन्हें गंभीर हालत में जालंधर के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। फौजा सिंह की उम्र 114 वर्ष थी और उन्होंने अपने जीवन में अनेक प्रेरणादायक रिकॉर्ड कायम किए।
एक धावक जिसने उम्र को चुनौती दी
पंजाब के जालंधर में जन्मे फौजा सिंह मूल रूप से किसान थे और बाद में ब्रिटेन जाकर बस गए थे। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मैराथन स्पर्धाओं में भाग लिया और 90 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में कई रिकॉर्ड अपने नाम किए।
2003 में लंदन मैराथन में उन्होंने 6 घंटे 2 मिनट में दौड़ पूरी की थी। उसी वर्ष टोरंटो वॉटरफ्रंट मैराथन में 92 वर्ष की उम्र में उन्होंने 5 घंटे 40 मिनट में दौड़ पूरी कर सबको चौंका दिया था। दुनिया उन्हें “टर्बन टॉरनेडो”, “रनिंग बाबा” और “सिख सुपरमैन” के नाम से भी जानती है।
बचपन में नहीं चल पाते थे, फिर बने विश्वविख्यात धावक
फौजा सिंह का जीवन संघर्षों से भरा रहा। बचपन में वह इतने कमजोर थे कि पांच साल की उम्र तक ठीक से चल भी नहीं पाते थे। लेकिन जीवन के अंतिम पड़ाव तक उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि इच्छाशक्ति और आत्मबल से कोई भी सीमा पार की जा सकती है।
भाषा नहीं बनी बाधा
ब्रिटेन में वर्षों रहने के बावजूद वे न अंग्रेज़ी बोलते थे और न ही हिंदी—पंजाबी ही उनकी मातृभाषा थी और उसी में वे संवाद करते थे। उन्हें यह खेद जरूर था कि वे कभी अंग्रेजी नहीं सीख पाए, लेकिन उनकी पहचान और प्रेरणा के स्रोत के रूप में यह कभी रुकावट नहीं बनी।