म्यांमार में गुरुवार सुबह जोरदार भूकंप के झटकों से लोगों में हड़कंप मच गया। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.1 मापी गई। सुबह 6:10 बजे आए इन झटकों का केंद्र मात्र 10 किलोमीटर की उथली गहराई पर था, जिससे क्षेत्र में कंपन अधिक महसूस किया गया। भूकंप के कारण लोग घबराकर घरों से बाहर निकल आए और सड़कों पर हलचल देखी गई।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, भूकंप की उथली गहराई इसे आफ्टरशॉक्स के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसे भूकंप जिनका केंद्र सतह के पास होता है, वे आमतौर पर गहराई वाले भूकंपों की तुलना में अधिक नुकसानदायक होते हैं। इसका कारण यह है कि भूकंपीय तरंगों को सतह तक पहुंचने में कम दूरी तय करनी होती है, जिससे झटके अधिक तीव्र महसूस होते हैं और संरचनाएं ज्यादा क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
भूकंप-प्रवण क्षेत्र है म्यांमार
म्यांमार भूगर्भीय दृष्टि से भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। यहां समय-समय पर मध्यम से तीव्र भूकंप आते रहते हैं। 1 जुलाई को भी यहां 4.2 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र 135 किलोमीटर की गहराई में था। इससे पहले 28 मार्च को आए 7.7 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने व्यापक तबाही मचाई थी, जिसमें 3500 से अधिक लोगों की जान गई थी। उस समय भूकंप का केंद्र मेंडले और सेगेंग शहरों की सीमा पर था और कंपन इतने तीव्र थे कि थाईलैंड के चियांग मेई तक असर देखा गया था। बुनियादी ढांचे, सड़कें और इमारतें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थीं।
कैसे आता है भूकंप?
धरती चार मुख्य परतों—इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टल और क्रस्ट—से बनी होती है। क्रस्ट और मैन्टल की ऊपरी परत को मिलाकर लिथोस्फेयर कहा जाता है, जो कई टुकड़ों में विभाजित होती है जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं। ये प्लेट्स लगातार हिलती रहती हैं। जब इनमें जोरदार हलचल या टकराव होता है, तो वही भूकंप का कारण बनता है।
भूकंप का केंद्र और तीव्रता का महत्व
भूकंप का केंद्र वह स्थान होता है जिसके ठीक नीचे टेक्टोनिक प्लेट्स में हलचल होती है। इस बिंदु के सबसे नजदीक वाले क्षेत्र में झटकों का प्रभाव सबसे अधिक होता है। अगर भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7 या उससे अधिक होती है, तो आसपास करीब 40 किलोमीटर तक के दायरे में तीव्र झटके महसूस होते हैं।
Read News: भाजपा विधायक की भाकियू नेता को धमकी- ‘औकात में रहो, मर जाओगे बेकार में’